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घाघरा का जल स्थिर, बाढ़ का खतरा टला

टांडा (अंबेडकरनगर) : घाघरा नदी का जल स्तर गत सोमवार शाम से स्थिर है। जल स्तर की वृद्धि रुक गई है। घा

By Edited By: Published: Tue, 14 Jul 2015 10:26 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2015 10:26 PM (IST)
घाघरा का जल स्थिर, बाढ़ का खतरा टला

टांडा (अंबेडकरनगर) : घाघरा नदी का जल स्तर गत सोमवार शाम से स्थिर है। जल स्तर की वृद्धि रुक गई है। घाघरा नदी का जल स्तर सोमवार को प्रात: खतरे के निशान 92.730 मीटर से 55 सेंटीमीटर नीचे रहा। सायं छह बजे तक नदी के जल स्तर में चार सेंटीमीटर की वृद्धि हुई। स्थानीय निवासियों की मानें तो नदी के जल स्तरर में वृद्धि हो रही है। स्थानीय निवासी सुनील कनौजिया, ने बताया कि नदी धीरे-धीरे बढ़ रही है। मांझा उल्टहवा गांव के प्रधान शिवप्रसाद यादव ने बताया कि नदी का जल स्तर लगभग स्थिर है। जल स्तर में धीमी वृद्धि हो रही है। बाढ़ का खतरा टल गया है। नगर का मेहनिया मोहल्ला नदी के दक्षिण एवं थिरुवा नाले के मुहाने पर बसा है। सबसे पहले यही प्रभावित होता है। बाढ़ के कारण मोहल्ला पश्चिम और उत्तर से घिर गया है। हालांकि बाढ़ का पानी मोहल्ला में नहीं पहुंचा है। एसडीएम नरेंद्र ¨सह ने बताया कि नदी के जल स्तर में वृद्धि रुक जाने से बाढ़ का मड़रा रहा खतरा टल गया है।

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बाढ़ से निपटने की नहीं बन सकी कार्ययोजन-आलापुर : स्थानीय तहसील क्षेत्र में बाढ़ से निपटने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना ही नहीं बन सकी है, जिससे बाढ़ प्रभावित ग्राम के वा¨शदों को इस वर्ष प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेलना पड़ सकता है।

गौरतलब है जिले में टांडा, आलापुर तहसील के लोग बाढ़ से काफी प्रभावित होते हैं। इसमें स्थानीय तहसील के लगभग 50 हजार लोग तबाह हो जाते हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तबाही से निपटने के लिए प्रतिवर्ष कार्ययोजना बनती है, लेकिन वह ऐन वक्त पर फेल हो जाती है। ज्यादा प्रभावित दो ग्रामपंचायतें आराजी देवारा व मांझा कम्हरिया में बाढ़ का प्रकोप बना रहता है। यहां की लगभग छह हजार आबादी प्रभावित होती है। अब तक न तो बाढ़ चौकियां बन सकीं और न ही स्वास्थ्य एवं राजस्व कर्मियों की तैनाती हो सकी। उपजिलाधिकारी महेंद्र प्रसाद ने बताया कि बाढ़ से निपटने के लिए तैयारी की जा रही है। प्रशासन बाढ़ पर पैनी नजर जमाए है।

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31 ग्राम पंचायतें होतीं प्रभावित-आलापुर : स्थानीय तहसील क्षेत्र की तीन नदियों घाघरा, छोटी सरयू, पिकिया का जल स्तर बढ़ने से लोग प्रभावित होते हैं। इनमें मांझा कम्हरिया व आराजी देवारा के अलावा बुकिया, संदहा मजगवां, न्यौरी, अमोला बुजुर्ग, प्रतापपुर बेलवरिया, चौधरीपुर बौरावं, मसेना मिर्जापुर, अन्नापुर, जहांगीरगंज, गनपतपुर, नेवारी दुराजपुर समेत 14 गांव आंशिक व न्यूनतम 31 ग्राम प्रभावित रहते हैं। यदि कोई व्यक्ति नदी में डूब गया तो भगवान ही मालिक हैं। कारण तहसील क्षेत्र में एक भी गोताखोर नहीं हैं। आवश्यकता पड़ने पर टांडा से बुलाना पड़ता है। यही हाल बाढ़ चौकियों का है। एक दशक पहले 14 बाढ़ चौकिया बनी हैं, जो नष्ट हो चुकी हैं। कुछ ऐसे स्थानों पर बाढ़ चौकी बनी थीं, जहां कोई प्रभावित गांव नहीं है। बाढ़ पीड़ितों राजाराम, रामअजोर, दर्शन, शंकर, रुदलराम ने बताया कि बाढ़ के समय प्रशासन बड़े-बड़े वादे करता है लेकिन बाद में भूल जाता है। यहां के लोगों के ऊपर प्रशासनिक इमदाद व सुरक्षा का भरोसा नहीं है।


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