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चकबंदी विभाग के फेर में उलझी काश्तकारों की ¨जदगी

अंबेडकरनगर : चकबंदी विभाग की गुनिया में काश्तकारों की दुनिया उलझकर रह गई है। क्षेत्र स्थित 12 एसीओ क

By Edited By: Published: Wed, 17 Jun 2015 12:35 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2015 12:35 AM (IST)
चकबंदी विभाग के फेर में उलझी काश्तकारों की ¨जदगी

अंबेडकरनगर : चकबंदी विभाग की गुनिया में काश्तकारों की दुनिया उलझकर रह गई है। क्षेत्र स्थित 12 एसीओ कार्यालयों पर अक्सर ताला ही लटकता रहता है। काश्तकार महीनों चक्कर लगाने के बाद एक नकल प्राप्त कर पाता है। सीओ, एसीओ के कार्यालय में बैठने की कोई समय सारिणी निश्चित ही नहीं है। जिसका खामियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ता है। काश्तकारों का कहना है कि यहां खर्चा-पानी के बगैर कोई काम होता ही नहीं है।

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भीटी तहसील के 172 गांव वर्ष 2008 से चकबंदी प्रक्रिया में हैं, लेकिन सात वर्ष से महज 70 गांवों में ही प्रक्रिया पूर्ण हो सकी है। शासन से गजट होने के बाद विभाग ने मिझौड़ा, गौरा बसंतपुर व अकबरपुर नाम से तीन सीओ सर्किल गठित की। वहीं खजुरी, चन्हा, रग्घूपट्टी, अहिरौली, विकवाजीतपुर, चतुरीपट्टी नाम से दो-दो सहायक चकबंदी अधिकारी सर्किल बनाकर उक्त स्थानों पर कार्यालय स्थापित किया। मिझौड़ा में एसएम पांडेय, गौरा में प्रकाशचंद उत्तम, खजुरी में विनोद कुमार ¨सह सीओ तैनात हैं। ग्रामीण रामनयन, रामनिहोर, रामसंवारे, प्रदीप कुमार, शिवप्रसाद, रमाशंकर, इंद्रजीत आदि ने बताया कि कार्यालय अक्सर बंद रहता है। कभी-कभार एक लिपिक या चपरासी खोलकर बैठते हैं। नकल प्राप्त करने के लिए खर्चा-पानी की मांग पूरी होने पर एक सप्ताह बाद बुलाया जाता है, लेकिन काम होने में माह भर का समय लग जाता है। विभाग के एसओसी शोभनाथ वर्मा कहते हैं कि सीओ व एसीओ के जिम्मे कार्यालयों पर वादों की सुनवाई व क्षेत्र में पहुंचकर समस्याएं निपटाने का कार्य रहता है। इस वजह से कार्यालय पर पूरा समय नहीं दे पाते। मामले की जांच करायी जाएगी।

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चकबंदी विभाग की शिकायतें आने पर समस्याओं का निस्तारण कराया जाता है। कार्यालयों के अक्सर बंद रहने की मौखिक शिकायतें आने पर जांच के निर्देश दिए जाते हैं। लिखित शिकायत मिलने पर जांच व कार्रवाई की जाएगी।

एसपी ¨सह

उपजिलाधिकारी, भीटी


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