आंकड़ों का खेल, वोट बैंक का सवाल
अंबेडकरनगर शराब के अवैध धंधे के लिए कहीं आंकड़ों का खेल तो कहीं वोट बैंक की राजनीति मुफीद है। यही
अंबेडकरनगर
शराब के अवैध धंधे के लिए कहीं आंकड़ों का खेल तो कहीं वोट बैंक की राजनीति मुफीद है। यही वजह है कि पुलिस व आबकारी विभाग प्रभावी ढंग से शिकंजा कसने की जहमत नहीं उठाते। फैजाबाद मंडल के लगभग सभी जिलों के नदियों की कछार में इस धंधे की जड़ें गहरी हैं। इन्हें उखाड़ फेंकने को साझा सतत मुहिम व जनता का इकबाल हासिल करने की जरूरत है।
आबकारी विभाग के सूत्रों के मुताबिक फैजाबाद, बाराबंकी व सुल्तानपुर जिले में महुआ से शराब का अधिकांश निर्माण सरयू नदी की कछार में होता है। इसके अलावा मड़हा, बिसुई और अन्य छोटी नदियों का तराई इलाका गढ़ माना जाता है। प्रभावित इलाकों में फैजाबाद का निर्मलीकुंड मांझा, नयाघाट मांझा, जिवपुर, मड़ना, दलपतपुर मांझा, अंबेडकरनगर का दरवन झील, कम्हरिया आदि शामिल हैं। इसी तरह सुल्तानपुर जिले दहेमा, चंदौर व बाराबंकी जिले के रामनगर, उधौली, आदि क्षेत्रों में शराब का अवैध धंधा फल-फूल रहा है। कहीं महुआ तो कहीं अल्कोहल से शराब बनाकर बिक्री की जाती है। जानकारों का कहना है कि वैसे तो इस धंधे में कई जातियों के लोग शामिल हैं, लेकिन नदियों की कछार में अधिकांश केवट, मल्लाह व गोड़िया तथा उपरहार इलाकों राजभर व अनुसूचित जाति के लोग इस धंधे में शामिल हैं। महिलाओं की भागीदारी भी अहम है। खास क्षेत्रों में इनकी अच्छी-खासी संख्या होने से इन्हें राजनीतिक संरक्षण भी मिलता रहता है। कारण स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लिए यह वोट बैंक होते हैं। वहीं इनके पास खेती व जीविकोपार्जन का साधन न होने से वह इसी धंधे के जरिए जीविका चला रहे हैं। जिला आबकारी अधिकारी बीबी सिंह कहते हैं कि इस धंधे के विरुद्ध निरंतर कार्रवाई की जाती है। छापे के दौरान जो भी पकड़ में आते हैं, उनके विरुद्ध कार्रवाई होती है। वह भी इस बात से इन्कार नहीं करते कि कतिपय जातियों के अधिकांश लोग इस अपराध में संलिप्त होते हैं।
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ऐसे लग सकेगा अंकुश
-पुलिस व आबकारी विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।
-राजनीतिक संरक्षण दिए जाने के बजाय जीविकोपार्जन व रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएं।
-आबकारी एक्ट के बजाय गुंडाएक्ट व गैंगस्टर एक्ट के तहत प्रभावी कार्रवाई हो।
-मनरेगा के तहत पंजीकरण व खाद्यान्न योजना का मिले लाभ।