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गीत-संगीत की पुरानी विधाओं को सहेजने की जरूरत

अंबेडकरनगर : युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल के तत्वावधान में बीएनकेबी स्नातकोत्तर महाविद्यालय क

By Edited By: Published: Thu, 25 Dec 2014 02:06 PM (IST)Updated: Thu, 25 Dec 2014 02:06 PM (IST)
गीत-संगीत की पुरानी विधाओं को सहेजने की जरूरत

अंबेडकरनगर : युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल के तत्वावधान में बीएनकेबी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के लाइब्रेरी हाल में जिला स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयेाजन किया गया है। कार्यक्रम का उद्घाटन पीडी उमाकांत त्रिपाठी ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलित कर किया। उन्होंने कहा कि गांवों में गीत-संगीत की प्राचीन विधाएं लुप्त हो रही हैं, इन्हे सहेजने की जरूरत है।

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परियोजना अधिकारी ने कहा कि पूर्व में प्रचलित कजरी, फाग, धोबियहवा, विदेशिया, प्राचीन गीत, संगीत की अच्छी विधाएं थीं, जो अब लुप्त हो रही हैं। युवा कल्याण विभाग इस संस्कृति को सहेजने का कार्य कर रहा है। सांस्कृतिक कार्यक्रम में ब्लॉक स्तर की कई टीमों ने प्रतिभाग किया। रामनगर के राजेश सिंह लोक गीत कलाकार, जलालपुर से दिनेश यादव, भीटी से छविलाल पाल, लोक गीत कलाकार की टीमों ने अच्छा प्रदर्शन किया। टीमों ने लोक गीत के माध्यम से राष्ट्र भक्ति एवं राष्ट्रीय तथा प्रादेशिक सरकारी कार्यक्रमों पर गीत के माध्यम से प्रकाश डाला। शशिबाला भारती राष्ट्र भक्ति गीत प्रस्तुत किया। मुश्किल में बा आज वतनवा जबनवा जागत रहियो, सिपाहिया से मत जइहो। अकबरपुर की बालिका ज्योति और शालिनी ने विदेशिया गाना प्रस्तुत किया। अंत में सभी कलाकारों व दर्शकों के प्रति जिला युवा कल्याण अधिकारी ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन ताड़केश्वर मिश्र ने किया। क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी अखंड प्रताप, वीरेंद्र कुमार, अमरनाथ सिंह, अशोक कुमार सिंह आदि मौजूद थे।


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