नौ गांवों की अधिग्रहीत भूमि पर एनटीपीसी का कब्जा
टांडा (अंबेडकरनगर) : एनटीपीसी के द्वितीय चरण के विस्तारीकरण के लिए अधिग्रहीत किसानों की भूमि पर एनटीपीसी को भौतिक कब्जा दिलाये जाने की कार्रवाई सुरक्षा बलों की उपस्थिति में रविवार को भी जारी रहा। दो सौं से अधिक ट्रैक्टरों-रोटावेटरों, जेसीबी मशीनों से खेतों में खड़ी गन्ना, धान आदि फसलों को रौंद प्रशासन ने एनटीपीसी को कब्जा दिलाया।
एनटीपीसी के द्वितीय चरण के विस्तारीकरण के लिए तहसील के सलारपुर रजौर, हासिमपुर, केशवपुर, पचपोखरा, लड़नपुर आदि नौ गांवों की 272.176 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की गई है। जिसमें सैकड़ों किसान एनटीपीसी से करार कर पूर्व में ही अपने खेतों पर एनटीपीसी को कब्जा दे चुके है। शेष किसानों ने अधिग्रहण का विरोध करते हुए उच्च न्यायालय में रिट याचिका योजित कर विभिन्न आधारों पर चुनौती दे रखी है। जिसमें तीन सितंबर को सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई है। उक्त तिथि के पूर्व ही प्रशासन एनटीपीसी को न करार करने वाले और प्रतिकर न लेने वाले किसानों की भूमि पर एनटीपीसी को कब्जा दिला रहा है। शनिवार को प्रशासन ने केशवपुर पंचपोखरा गांव में खेतों में खड़ी फसलों को रौंदकर कब्जा दिलाया। रविवार को अवकाश का दिन होने के बावजूद प्रशासन लड़नपुर गांव में किसानों के खेतों में 200 से अधिक ट्रैक्टर, जेसीबी मशीन उतार दिया। देखते ही देखते खेतों में खड़ी धान, गन्ना आदि की फसलों के निशान मिट गए। शाम पांच बजे तक सम्हरिया, लड़नपुर, ककराही, आसोपुर गांवों को मिलाकर सौ हेक्टेयर से अधिक भूमि पर एनटीपी को कब्जा दिलाया गया। रैपिड एक्शन फोर्स, सीआरपीएफ, पीएसी पुलिस के साथ डीएम विवेक, एडीएम राममूर्ति मिश्र, एएसपी पंकज, जिले के सभी एसडीएम, सीओ, एसओ, तहसीलदार राजेश सिंह, दर्जनों लेखपाल, राजस्व निरीक्षक आदि उपस्थित रहे।
शासन की बर्बरता को देंगे चुनौती : प्रभावित किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष वंशराज वर्मा ने सुरक्षा बलों की उपस्थिति में किसानों के खेतों में खड़ी फसलों को रौंद एनटीपीसी को भौतिक कब्जा दिलाये जाने के प्रशासन की कार्रवाई को शासन की बर्बरता, अन्याय पूर्ण कार्रवाई करार देते हुए चुनौती दी है। कहा गया कि शासन, प्रशासन एनटीपीसी को कब तक सुरक्षा प्रदान करेगा। किसान नेता ने कहा कि हमारी भूमि सूबे की सरकार लेकर एनटीपीसी को दे रही है। शुरुआत से ही शासन ने अन्याय शुरू कर दिया। अधिग्रहण की कार्रवाई के पूर्व गांव विशेष औद्योगिक क्षेत्र की श्रेणी में था। किसानों को प्रतिकर असिंचित क्षेत्र घोषित कर किया गया है। जबकि सैकड़ों हेक्टेयर भूमि नहरों के किनारे है और दो फसली उपजाऊ भूमि है। सपा की घोषणा पत्र में कहा गया था कि सपा की सरकार किसानों की उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण नहीं करेगी। शासन को अन्य किसान से प्रेम नहीं है। उसे बिजली चाहिए। प्रशासन द्वारा कब्जा दिलाने की कार्रवाई को रोकने की मांग करते हुए किसान नेता ने कहा कि तीन सितंबर को उच्च न्यायालय में अंतिम सुनवाई की तिथि है, तब तक प्रशासन को कब्जा नहीं दिलाना चाहिए था।