काल कलौती उज्जर धोती, मेघा भाई पानी दे..
अंबेडकरनगर : कीचड़ में लोटते हुए बच्चे काल कलौती, उज्जर धोती मेघा भाई पानी दे.. कहकर बारिश के लिए मेघा को रिझाने में जुट गए हैं। वहीं आसमान पर गड़गड़ाहट के साथ उमड़-घुमड़ कर निकल रहे बदलों की बेरुखी देख किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। तेज धूप के बीच सिंचाई करने में किसानों की जेब खाली हो चुकी है।
शनिवार को सुबह के करीब नौ बजे थे। अकबरपुर विकास खंड के दांदूपुर गांव में आधा दर्जन से अधिक बच्चे मिट्टी के कीचड़ में लोटपोट होकर मेघा से बारिश करने की मनुहार कर रहे थे। उधर खेतों में पानी की कमी के चलते धान की फसल चौपट होती जा रही हैं। सूखे की चपेट में आई धान की फसल का रंग धीरे-धीरे पीला होने लगा है। कभी बारिश के बीच खेतों में हरियाली तथा धान के काले रंगों के देख किसानों की बाछें खिल जाती थीं। खास बात है कि छिटपुट होने वाली बारिश भी खेतों के बजाए नगरीय क्षेत्र में ही पानी की फुहार देकर उमस पैदा कर जा रही है। किसान सभाजीत वर्मा व सरजू प्रसाद का कहना है कि धान की फसल तो पानी के बल पर ही तैयार होती है। धान को उसकी जरूरत के मुताबिक पानी देना किसान नहीं भगवान के ही बस में है। किसान राम लौट व कन्हई प्रसाद यादव कहते हैं कि सिंचाई किए जाने के चंद घंटों में ही पानी सूख जाता है। तेज धूप तो फसल के लिए और कहर बरपा रही है। बारिश की उम्मीद बस 20 दिन और की जा सकती है। इसके बाद तो धान की फसल हाथ से गई ही समझिए। कृषि विभाग के उप परियोजना निदेशक (आत्मा) डॉ. रजनीश पाठक का कहना है कि सितंबर माह में बारिश की उम्मीद की जा सकती है।
आलापुर संवादसूत्र के मुताबिक बारिश न होने से सिंचाई के अभाव में अन्नदाता की गाढ़ी कमाई बर्बाद होने के कगार पर है। आदमपुर के प्रतिष्ठित किसान ओम नरायन पांडेय ने बताया कि लगभग दो हेक्टेयर धान की फसल लगाई गई है, जिसमें लगभग 25 हजार रुपये लागत लग चुकी है। अन्नापुर के किसान छत्रपाल सिंह अपने धान के खेतों में बैठकर फसल को देखते ही किंकर्तव्य विमूढ़ हो जाते हैं। यही हाल केदरूपुर के कृषक महेंद्र दत्त मिश्र, नागेंद्र चौबे व जयसिंह के किसान रामजी तिवारी का है।