मरीजों के लिए छलावा बनी स्मार्ट कार्ड योजना
अंबेडकरनगर : स्वास्थ्य मंत्री का गृह जनपद होने के बावजूद यहां स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ स्मार्ट कार्डधारकों को समुचित नहीं मिल रहा है। वित्तीय वर्ष के तीन माह बीत गए, लेकिन अब तक निजी चिकित्सालयों में महज 45 मरीजों का इलाज हो सका है। वही गत वर्ष की अपेक्षा स्मार्ट कार्ड धारकों की संख्या घटने लगी है।
स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इस वर्ष सात निजी चिकित्सालयों को अनुमति मिली है। निजी चिकित्सालयों में तो मरीजों का इलाज शुरू हो गया है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में यह योजना अभी तक मूर्तरूप नहीं ले सकी। गत वर्ष भी सिर्फ जिला अस्पताल में यह योजना संचालित हो सकी है। इसमें स्मार्ट कार्ड बनाने व उसके वितरण में मनमानी का मामला ही सामने आया है। गत वर्ष जहां 67 हजार 216 स्मार्ट कार्ड बने थे, वहीं इस वर्ष यह संख्या घटकर 58 हजार 447 पर पहुंची। जिले में दो लाख चार हजार 936 बीपीएल कार्डधारक है। इन्हें योजना से लाभांवित करने की सरकारी मंशा जिले में पूरी नहीं हो रही है। योजना के प्रति विभागीय अधिकारी कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। गत वर्ष चयनित 10 सरकारी चिकित्सालयों के सापेक्ष मात्र जिला चिकित्सालय में ही कार्डधारकों का इलाज हो सका था। योजना को लेकर चालू वित्तीय वर्ष में भी विभागीय उदासीनता परिलक्षित हो रही है। इस वर्ष भी 10 सरकारी चिकित्सालयों का चयन किया गया, लेकिन तीन माह बीत गए, अब तक किसी भी सरकारी चिकित्सालय में योजना के तहत मरीजों का इलाज शुरू नहीं हो सका। शासन द्वारा सभी बीपीएल कार्डधारकों को स्मार्ट कार्ड बनाने का निर्देश नेशनल इंश्योरेंस को दिया गया था। कंपनी द्वारा इसके लिए मेडसेफ बीमा कंपनी को अधिकृत किया गया था। शुरू में तो कंपनी द्वारा 58 हजार 447 स्मार्ट कार्ड बनाए गए, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में स्मार्ट कार्ड बनाने की योजना गति नहीं पकड़ सकी। स्थिति यह है कि एक लाख 46 हजार 489 बीपीएल कार्डधारक अभी स्मार्ट कार्ड पाने से वंचित है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मेजर बीपी सिंह ने कहा कि सरकारी चिकित्सालयों में योजना के तहत स्मार्ट कार्ड धारकों को लाभ दिए जाने के आवश्यक निर्देश दिए गए है। इन चिकित्सालयों का शीघ्र ही निरीक्षण कर योजना के प्रगति की जांच की जाएगी।