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आयुर्वेद व होम्योपैथ चिकित्सा सेवा का यहा घुट रहा दम

By Edited By: Published: Mon, 30 Jun 2014 10:10 PM (IST)Updated: Mon, 30 Jun 2014 10:10 PM (IST)

अंबेडकरनगर : यहां तो राजकीय होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवाओं का दम घुट रहा है। इन अस्पतालों में न तो दवाएं रहती हैं और न ही मरीजों को समुचित चिकित्सा सुविधाएं ही मुहैया करायी जा रही हैं। संसाधनों व सुविधाओं के अभाव में संचालित इन अस्पतालों में तैनात चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी हाजिरी लगा पगार लेने तक सीमित हैं। सोमवार को जागरण ने जब अस्पतालों की पड़ताल की तो हकीकत सामने आ गई।

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राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय शहजादपुर

समय पूर्वाह्न 11.30 बजे।

किराए पर जीर्ण-शीर्ण भवन में चल रहे इस चिकित्सालय में संसाधनों की भारी कमी है। बारिश होने पर छत टपकने लगती है। जिससे स्वास्थ्य कर्मियों को यहां बैठ पाना भी कठिन हो जाता है। अस्पताल में चिकित्साधिकारी डॉ. दिलीप कुमार साहू, फार्मासिस्ट केके पांडेय व रामजीत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तैनात किए गए हैं। चिकित्साधिकारी डॉ. साहू व फार्मासिस्ट तो अस्पताल में मौजूद थे लेकिन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नदारद था। चिकित्साधिकारी द्वारा बताया गया कि वह जिला कार्यालय पर गए हुए हैं। चिकित्साधिकारी भी बैठकर मरीजों की राह देख रहे थे। कारण गली के जर्जर भवन में स्थापित यह चिकित्सालय अपनी पहचान खोता जा रहा है। चंद मरीज ही यहां उपचार के लिए पहुंचते हैं। बकौल चिकित्साधिकारी मकान मालिक भवन खाली करने के लिए दबाव बना रहे हैं। उनका कहना है कि होम्योपैथिक चिकित्सा अन्य पद्धतियों से बेहतर है कारण इस दवा से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। उन्होंने बताया कि संसाधन की कमी चिकित्सालय की सेवा में रोड़ा साबित हो रही है।

राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय शहजादपुर

समय दोपहर 12 बजे।

मरीजों का टोटा होने के चलते चिकित्साधिकारी डॉ. संजय व अस्पताल के अन्य कर्मचारी बरामदे में बैठकर गुफ्तगू कर रहे थे। चार शैय्या के इस अस्पताल में एक भी मरीज भर्ती नहीं है। सिर्फ चूर्ण वाली दवा उपलब्ध है। बटी, भस्म, अशव, अरिस्ट आदि दवाएं यहां उपलब्ध ही नहीं हैं। जाहिर सी बात है कि जब अस्पताल में दवा ही नहीं उपलब्ध रहेगी तो मरीज को बाहर से दवा खरीदनी ही पड़ेगी। बताया गया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा उदर विकार, चर्मरोग, गठिया, दमा आदि रोगों में रामबाण का काम करती है, लेकिन यहां कोई कफ सीरप व बटी चूर्ण भी नहीं उपलब्ध है। काफी देर के बाद इंतजार के बाद पंजूपुर निवासी रामपाल अपना उपचार कराने पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि एलोपैथिक दवा का काफी सेवन कर चुका हैं लेकिन मर्ज नहीं ठीक हो रहा है। शायद आयुर्वेदिक दवा कारगर होती है। अब इसका भी इलाज करके देख लूं। अस्पताल में वार्डब्वॉय तो मौजूद था, लेकिन स्वैच्छक चौकीदार मोहम्मद शरीफ अनुपस्थित। फार्मासिस्ट कैलाशनाथ वर्मा भी नदारद रहे। चिकित्साधिकारी से जानकारी करने पर पता चला कि कस्बे में कहीं गए हुए हैं।


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