अब उसको चुनेंगे जो हमारी सुनेगा
अंबेडकरनगर : सांसद चुनने को बेताब जनता वोट देने में विकास व शिक्षा को तरजीह दे रही है। अबकी बार गरीबों की सुनने वाले तथा गरीबों तक मूलभूत सुविधा लाने वाली ही सरकार चुनने की मंशा है। किसानों की मेहनत को सार्थक मेहनताना दिलाने वाले को ही नेता चुना जाएगा। जनता अबतक नेताओं द्वारा किए गए आश्वासनों को भी परखने में जुट गई है।
दृश्य एक : दोपहर के करीब एक बजे थे। नगर के निकट न्योतरिया मुस्तफाबाद में एक चाय की दुकान पर नेता चुने जाने को लेकर ग्रामीणों की बहस जारी थी। रामजगत सामने बैठे संतलाल से कहते हैं कि किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है। किसान की फसल को मनचाहे दाम तय कर सरकार बेचने को कहती है, और बजार में किसानों के काम की चीज खरीद में कमर टूट जा रही है। इस मंहगाई में सरकारी नौकरी करने वाले ही जिंदा रह सकते हैं। यहां दोनों समय का भोजन जुटाना मुश्किल हो गया है। नेता भी चुनाव के बाद दिल्ली और लखनऊ चले जाते है। समस्या किससे कही जाए। अबकी अपने बीच रहने वाले तथा हमारी मुसीबत के साथी को ही नेता चुना जाएगा। राम मदन बगल बैठे भोला से कहते हैं अबकी गरीबों की पहुंच तक मूलभूत सुविधाएं लाने वाली ही सरकार बनाई जाएगी। किसी के बहकावे में आना नहीं होगा। अपने दिमाग का प्रयोग करना होगा। पढ़े-लिखे व गरीबी को झेलने वाले के हाथ में ही कमान दी जाएगी। जनार्दन सामने बैठे बनवारी लाल से गांवों तक बिजली व अनाज नहीं पहुंच रहा है। टीवी और रेडियों में रोज बताया जाता है कि आपको यह मिल रहा है। गांव के साहब से पूछने तो जानकारी के नाम पर चुप्पी मिलती है। कर्मचारियों व अधिकारियों पर नियंत्रण रखने वाली तथा भ्रष्टाचार से मुक्त सरकार लाने के लिए मतदान किया जाएगा। जफर खां व रामदास सामने बैठे डॉ. पंचम राम, मीठू व शिवपूजन से कहते हैं कि शिक्षा के स्तर से लेकर यातायात की सुविधाओं में विस्तार करने वाला ही हमारा नेता होगा। कहते हैं कि बच्चे बड़े हो रहे हैं। हम सब तो बेकारी व बेरोजगारी में किसी तरह से जीवन बिता चुकें हैं, लेकिन बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर सरकार ही चुना जाएगा।
दृश्य दो : दोपहर के दो बजे रहे थे। नगर के इंद्रलोक कॉलोनी में बैठी महिलाएं के बीच मताधिकार के प्रयोग को लेकर तीखी बहस जारी थी। रजनी सिंह सामने बैठी फूला सिंह से कहती हैं कि इस मंहगाई में बच्चों की पढ़ाई से लेकर घर चलाना मुश्किल हो गया है। एक-एक रुपया जोड़कर घर व बच्चों की पढ़ाई पूरी कर ली जाए यहीं बहुत है। सरकारें मंहगाई को रोकने में बेकार हो चली हैं। प्राइवेट नौकरी में तो हालत खस्ता हो गई है। मंहगाई घटाने तथा रोजगार देने वाले को ही नेता चुनना मतदान का मकसद होगा। वंदना वर्मा बगल बैठी ममता तिवारी से कहती हैं कि वादे करने वाले नेताओं को लगातार देखा जा रहा है। अब सोच समझकर ही वोट दिया जाएगा। महिलाओं की सुरक्षा की सुरक्षा तथा रोजगार में भागीदारी तय करने वाले को ही सांसद बनाया जाएगा। सुनीता किनारे बैठी रिंपी से कहती है कि आज घर के सामने तमाम ऐसे चेहरे दिखाई दे रहे हैं जिन्हें कभी देखा नहीं गया। वोट मागने आते वह भी अधिकार से, जैसे हमारे लिए बहुत कुछ कर गए हैं। ऐसे ही आते जाते रहें, वोट तो विकास व शिक्षा को बढ़ावा देने वाले को ही दिया जाएगा।