बंद होगी देश की पहली आर्मी डेयरी
जासं, इलाहाबाद : जवानों को शुद्ध दूध मुहैया कराने वाली देश की पहली आर्मी डेयरी बंद होने
जासं, इलाहाबाद : जवानों को शुद्ध दूध मुहैया कराने वाली देश की पहली आर्मी डेयरी बंद होने जा रही है। भारत सरकार ने तीन माह के अंदर इस डेयरी को पूर्ण रूप से बंद करने का निर्देश भी दे दिया है। मौजूदा समय में इस डेयरी में उच्च प्रजाति की कुल छह सौ गायें हैं।
आज से 128 वर्ष पहले यानि वर्ष 1889 में अंग्रेजों ने अपनी सेना के जवानों को दूध उपलब्ध कराने के लिए शहर के पश्चिमी छोर पर चौफटका के पास इस डेयरी की स्थापना की थी। उन दिनों अंग्रेजों द्वारा यहां महज 10 गायें रखी गई थी। यह भवन आज भी उसी तरह सुरक्षित है। भारत आजाद हुआ तो भी यह डेयरी संचालित होती रही। यहां गायों की संख्या कई गुना बढ़ा दी गई, जो वर्तमान में छह सौ चुकी है, जिनकी कीमत करीब ढाई सौ करोड़ रुपये है। 200 से अधिक कर्मचारी व श्रमिक इस डेयरी में इन गायों की देखरेख करते हैं। यह इनकी आजीविका का साधन भी है।
अच्छी खासी चल रही इस डेयरी को सरकार ने बंद करने का निर्णय लिया है। बीते माह निर्देश जारी किया गया कि तीन माह के अंदर इन गायों की नीलामी कर दी जाय और डेयरी बंद कर दी जाय। सूत्रों की माने तो सरकार प्राइवेट डेयरी को बढ़ावा देना चाहती है इसलिए इसे बंद करने जा रही है।
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यह है डेयरी की वर्तमान स्थिति
600 उच्च प्रजाति की गाय।
700 एकड़ जमीन में है डेयरी।
10.50 लाख लीटर दूग्ध का उत्पाद प्रतिवर्ष।
200 कर्मचारी व श्रमिक कार्यरत।
250 करोड़ रुपये कीमत की गाय।
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- मना शताब्दी वर्ष समारोह
इस आर्मी डेयरी के सौ वर्ष पूरे होने पर एक फरवरी 1989 को शताब्दी वर्ष समारोह मनाया गया था। इसमें रक्षा राज्यमंत्री रहे चिंतामणि बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे।
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देश में कुल 39 आर्मी डेयरी
देश भर में कुल 39 आर्मी डेयरी मौजूदा समय में संचालित हो रहे हैं। इन सभी डेयरी को बंद किया जाना है। इसमें सबसे पहले इलाहाबाद की ही आर्मी डेयरी बनी थी।
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' सरकार ने तीन माह में डेयरी को बंद करने का निर्देश दिया है। इन गायों को नीलाम कर दिया जाएगा। '
राजेश कुमार, मैनेजर, आर्मी डेयरी
इनसेट:
सड़क पर उतरे कर्मचारी व श्रमिक
फोटो :
इलाहाबाद : डेयरी को बंद किए जाने के विरोध में रविवार को डेयरी के मुख्य द्वार पर श्रमिकों ने नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। वह डेयरी चालू रखने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शन के दौरान शिवबरन सिंह, पुन्नूलाल, सुरेश, प्रेमचंद्र, रामआसरे, प्रेमनारायण, मनोज कुमार, रामकैलाश आदि मौजूद रहे।