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आरओ-एआरओ 2014 रिजल्ट पर सवाल, अध्यक्ष व सदस्य घेरे में

आरओ-एआरओ 2014 की परीक्षा 640 पदों के लिए कराई थी। मुख्य परीक्षा 29 व 30 अगस्त 2015 जबकि सहायक समीक्षा अधिकारी के लिए अनिवार्य टंकण परीक्षा 16 से 27 जुलाई के मध्य हुई थी।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 22 Aug 2017 01:05 PM (IST)Updated: Tue, 22 Aug 2017 01:05 PM (IST)
आरओ-एआरओ 2014 रिजल्ट पर सवाल, अध्यक्ष व सदस्य घेरे में
आरओ-एआरओ 2014 रिजल्ट पर सवाल, अध्यक्ष व सदस्य घेरे में

इलाहाबाद (जेएनएन)। उप्र लोकसेवा आयोग की समीक्षा अधिकारी सहायक समीक्षा अधिकारी यानी आरओ-एआरओ परीक्षा 2014 के परिणाम पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। रिजल्ट आने के बाद आठ माह बाद अंक जारी होते ही प्रतियोगियों में हंगामा मचा है। मनमाने तरीके से रिजल्ट को आयोग ने संशोधित किया है और असफल अभ्यर्थियों को एक समान दिए गए हैं। इससे आयोग अध्यक्ष व सदस्यों की भूमिका संदेह के घेरे में है। प्रतियोगियों ने उनके निलंबन और अनिमितताओं की जांच की मांग की है।

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आयोग ने आरओ-एआरओ 2014 की परीक्षा 640 पदों के लिए कराई थी। इसमें मुख्य परीक्षा 29 व 30 अगस्त 2015 को कराई गई, जबकि सहायक समीक्षा अधिकारी के लिए अनिवार्य टंकण परीक्षा 16 से 27 जुलाई के मध्य हुई थी। परीक्षा का अंतिम परीक्षा 28 नवंबर 2016 को जारी किया, जिसमें 426 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया, जबकि 214 पद के लिए योग्य अभ्यर्थी न मिलने पर रिक्त छोड़ दिए गए। आयोग ने रिजल्ट आने के दिन ही निर्देश जारी किया कि सफल अभ्यर्थी 21 दिन के अंदर मूल प्रमाणपत्रों को आयोग से सत्यापित करा लें साथ ही पदवार मेरिट भी जारी हुई।

इस दौरान आठ माह तक सफल व असफल अभ्यर्थियों का अंक पत्र जारी नहीं किया गया। प्रतियोगियों के दबाव में बीते 19 अगस्त को वेबसाइट पर घोषित किया गया। परीक्षा के अंक जारी होने के बाद से हंगामा मचा है, क्योंकि कई असफल छात्रों को हिंदी जैसे विषय में 60 में 60 अंक मिले हैं तो कुछ को शून्य अंक दिए गए हैं। इसी तरह से सामान्य अध्ययन विषय में भी अभ्यर्थियों को 10 से 15 अंक कम मिले हैं। इस पर प्रतियोगियों ने गंभीर सवाल उठाए हैं।

उनका कहना है कि ऑब्जेक्टिव परीक्षा में जब निगेटिव मार्किंग का प्रावधान नहीं था, तब शून्य अंक कैसे मिल सकते हैं। सभी असफल अभ्यर्थियों के एक साथ अंक कैसे घट गए? यही नहीं जब रिजल्ट आने के 21 दिन के अंदर मूल प्रमाणपत्र सफल अभ्यर्थियों को जमा करना था, तब आठ माह बाद समीक्षा अधिकारी लेखा में सफल 23 में से 22 अभ्यर्थियों का रिजल्ट निरस्त क्यों किया गया? ऐसे ही समीक्षा अधिकारी लेखा के लिए योग्यता वाणिज्य में स्नातक के साथ ही अन्य समकक्ष योग्यता रखी गई थी, किंतु अन्य समकक्ष योग्यता का उल्लेख क्यों नहीं किया गया।

परिणाम आने के लंबे समय बाद अंक क्यों जारी हुए और अब उत्तर पुस्तिका दिखाने में आनाकानी क्यों हो रही है। परिणाम जारी करने के दिन परीक्षा समिति के अध्यक्ष व आयोग अध्यक्ष ने इन गड़बडिय़ों का संज्ञान क्यों नहीं लिया? प्रतियोगी अवनीश पांडेय ने इस परीक्षा परिणाम की उच्च स्तरीय जांच की मांग मुख्यमंत्री से की है। इसमें आयोग अध्यक्ष व सदस्यों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। साथ ही अभ्यर्थियों को ओएमआर शीट दिखाने के साथ ही लिखित परीक्षा की कॉपियां भी दिखाई जाएं।
 


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