प्रधानमंत्री संसद में लाएं राममंदिर बनाने का प्रस्ताव: डा.स्वामी
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : राज्यसभा सदस्य डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : राज्यसभा सदस्य डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए प्रधानमंत्री को संसद में प्रस्ताव लाना चाहिए। सोमवार को यहां उन्होंने कहा कि देश में शांति के लिए जरूरी है कि मुस्लिम मतावलंबी ¨हदुओं का अपना पूर्वज मानें। बोले, जब तक वह (मुसलमान) खुद को मोहम्मद गजनी और मोहम्मद गौरी का वंशज मानेंगे, देश में शांति नहीं आएगी। संपूर्ण भारत वर्ष के नागरिकों का डीएनए एक है। इसमें किसी प्रकार का मतभेद नहीं है।
केपी कम्युनिटी सेंटर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के तहत अरुधंती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ के बैनर तले 'लोक जीवन में भारतीय अस्मिता' विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि डा. स्वामी ने कहा कि विश्व की 46 संस्कृतियों में केवल भारतीय संस्कृत ही बची है। इसे कोई भी खंडित नहीं कर पाएगा। बस, सभी लोगों को एकजुट होने की जरूरत है। राम मंदिर मसले का जिक्र करते उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपने सर्वे में विवादित स्थल पर मंदिर होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को चाहिए कि वह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर संसद में प्रस्ताव लाएं ताकि अतिशीघ्र राममंदिर बन सके। डा. स्वामी ने दावा किया कि लालकृष्ण आडवाणी और उमा भारती ने अयोध्या में कोई मस्जिद नहीं ढहवाई। उनका यह भी कहना था कि भारत आज एक शक्ति है। अगर कोई हमें छेड़ेगा तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। बोले, पाकिस्तान इस बात को समझ चुका है, चीन भी मान ले। उसके सैनिकों ने पत्थर फेंका तो हमने पत्थर फेंककर जवाब दिया। मुक्केबाजी में चुनौती खत्म कर दी। इसलिए चीन भारत को कमतर आंकने की गलती न करे। डा. स्वामी अरुधंती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ के अध्यक्ष भी हैं।
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कांग्रेस का हो स्वदेशीकरण
डा. स्वामी का कहना था कि 2014 में देश में बहुत बड़ा परिवर्तन आया। ¨हदुत्व की लहर चली। एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला। कांग्रेस को अब यह बात समझ आ गई है। कांग्रेस का जब तक स्वदेशीकरण नहीं होगा, तब तक उसका कोई भविष्य नहीं है। केंद्र में भाजपा की सरकार आने के पश्चात मुस्लिम महिलाओं में विश्वास जगा है कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा। उच्चतम न्यायालय में तीन तलाक पर उनके पक्ष में फैसला आएगा।
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¨हदू केवल तीन मंदिर मांग रहे
उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने ¨हदुओं के 40 हजार मंदिरों को तोड़ा था, लेकिन ¨हदू समाज केवल तीन मंदिर वापस मांग रहा है। यह हैं मथुरा, अयोध्या और वाराणसी। ऐसे में सद्भाव के लिए मुस्लिम समाज को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपातकाल का काला अध्याय जोड़ने वाले लोग आज हमें असहिष्णु कह रहे हैं। यह दुर्भाग्य है।
बदलेगा इलाहाबाद का नाम
डा. स्वामी ने कहा कि इलाहाबाद का नाम प्रयाग किए जाने की कवायद चल रही है। जल्द ही इस बारे में फैसला ले लिया जाएगा। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. कपिल तिवारी ने कहा कि राष्ट्र के लिए प्राकृत की रक्षा करना जरूरी है। भारत में भाषा, बोली, रहन-सहन, कला, संस्कृति में विभिन्नता है। इसके बावजूद अखंडता है, जिसे बनाए रखने की जरूरत है। पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. महेशचंद्र शर्मा ने पंडित दीनदयाल उपध्याय के जीवन पर प्रकाश डाला। बताया कि उन्होंने राष्ट्र शब्द की संकल्पना की थी। राष्ट्र के बिना कुछ भी संभव नहीं है। कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट के अध्यक्ष चौधरी राघवेंद्र सिंह ने भी वक्ताओं में थे। संचालन डॉ. चंद्रप्रकाश सिंह ने किया। अशोक मेहता, हरबंश दीक्षित, एपी सिंह डॉ. राजाराम यादव (कुलपति, पूर्वाचल विश्वविद्यालय), अनिल पांडेय, राजेंद्र सिंह, डॉ. विवेक निगम, पवन शुक्ला, आशुतोष श्रीवास्तव की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।