'पुलिस से अपेक्षाएं ज्यादा, हाथ कानून से बंधे'
जासं, इलाहाबाद : अपराध की रोकथाम में पुलिस की भूमिका जहा अहम है वही पर समाज के लोगों को भी पुलिस के
जासं, इलाहाबाद : अपराध की रोकथाम में पुलिस की भूमिका जहा अहम है वही पर समाज के लोगों को भी पुलिस के साथ पुलिस मित्र के रूप में कार्य करना होगा। जनसंख्या अधिक होने और पुलिस कम होने के नाते सब जगह पुलिस का पहुंच पाना संभव नहीं है। ऐसे में वहां पर समाज की भूमिका आती है। लोगों की अपेक्षाएं पुलिस से ज्यादा हैं और पुलिस के हाथ कानून से बंधे हैं। उक्त बातें राजर्षि टंडन सेवा केंद्र में रविवार को लोक सेवक मंडल व गांधी अकादमिक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि एसएसपी आनन्द कुलकर्णी ने कहीं। सेमिनार का विषय 'महिला सुरक्षा में पुलिस और समाज की भूमिका' था।
उन्होंने कहा कि कानून कहता है कि सात वर्ष से कम के सजा वाले अपराध में गिरफ्तारी नहीं हो सकती। हम सिर्फ अपराध लिख सकते हैं और अपराध जब लिखा जायेगा तो कार्यवाही अवश्य होगी। न्यायपालिका में गंभीर से गंभीर अपराध में 10 वर्ष से ज्यादा ट्रायल चल रहा है। इसमें त्वरित न्याय की आवश्यकता है। एसएसपी ने कहा कि समाज के लोगों को पुलिस की अच्छी कार्यशाली की भी प्रशसा करनी चाहिए इससे पुलिस वालों का मनोबल बढ़ेगा।
गांधी अकादमिक संस्थान के निदेशक ओम प्रकाश शुक्ल ने कहा महिलाओं के साथ अपराध करने वालों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए। इविवि की प्रो. अनिता गोपेश ने कहा कि जिस दिन एक स्त्री की इज्जत करना लोग समझ जायेंगे उसी दिन महिलाओं को किसी की सुरक्षा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सेमिनार को डॉ. रमा सिंह, लोक सेवक मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजकुमार चोपड़ा ने भी संबोधित किया। एसएसपी ने आशीष तिवारी, घनश्यम मास्टर, रविशकर मिश्र कर्मचारी नेता, पंकज पाडेय को सामाजिक कार्यो के लिए शाल एवं बुके भेंट कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर श्रीनारायण यादव, माता प्रसाद, विनोद यादव, सुनील गुप्ता, अशोक यादव, श्यामलाल, शालिनी विश्वकर्मा, धर्मेन्द्र यादव, संदीप द्विवेदी, संदीप कुमार, रामगोपाल पाण्डेय आदि मौजूद थे।