आज चांद दिखा तो सोमवार को ईद
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : 29 दिनों के रोजे के ऐतबार से यदि रविवार को चाद दिखा तो ईद उल फित्र सोमवा
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : 29 दिनों के रोजे के ऐतबार से यदि रविवार को चाद दिखा तो ईद उल फित्र सोमवार को मनाई जाएगी। शहर काजी और मरकजी रूहते हिलाल कमेटी की ओर से चाद देखने की अपील की गई है।
काजि-ए-शहर मुफ्ती शफीक अहमद शरीफी का कहना है कि सभी मुसलमानो को चांद देखना चाहिए। अगर चांद नजर आ जाए तो इसकी सूचना शहर काजी और नायब शहर काजी के मोबाइल नंबर 7897183383 और 9415648360 पर दें। ईद के चांद के तस्दीक की इत्तेला जामा मस्जिद में सीधे दी जा सकती है। मरकजी मजलिस रूहते हिलाल कमेटी के सचिव डॉ. अहमद मकीन ने चांद नजर आने पर बख्शीबाजार स्थित शाह वसीउल्ला साहब की मस्जिद में सीधे इत्तेला की बात कही है। चांद की तस्दीक हो जाने पर कोई भी 9839256848, 9838835974 और 9838988786 पर इत्तेला कर सकता है।
चाद रात को लेकर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में रंगत बढ़ने लगी है। ईद की खुशियों की बयार रोजेदारों के चेहरों पर साफ देखी जा सकती है। लोगों को अब ईद के चाद के दीदार का इंतजार है। इस बार 29 के चाद के ऐतबार से रविवार को ईद की संभावना जताई जा रही है।
नमाज से पहले अदा करें सदकाए फित्र
काजिए शहर का कहना है कि सभी मुसलमानों को ईद की नमाज के पहले सदक-ए-फित्र अदा कर देना चाहिए। सेंवई में लिपटी मोहब्बत की मिठास का त्योहार ईद-उल-फित्र भूख-प्यास सहन करके एक महीने तक सिर्फ खुदा को याद करने वाले रोजेदारों को अल्लाह का इनाम है। मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व न सिर्फ हमारे समाज को जोड़ने का मजबूत सूत्र है, बल्कि यह इस्लाम के प्रेम और सौहार्द्र भरे संदेश को भी पुरअसर ढंग से फैलाता है।
भाईचारे की परंपरा का वाहक ईद
मीठी ईद भी कहा जाने वाला यह पर्व खासतौर पर भारतीय समाज के ताने-बाने और उसकी भाईचारे की सदियों पुरानी परंपरा का वाहक है। इस दिन विभिन्न धर्माे के लोग गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं और सेंवई अमूमन उनकी तल्खी की कड़वाहट को मिठास में बदल देती है। चादरात को ईद की खरीदारी को लेकर लोगों में खासा उत्साह है। शहर के बाजारों में पिछले दस दिनों से रौनक बढ़ चुकी है।
इबादतों का इनआम पाने की रात है चाद रात
अपने दामन में बेशुमार बरकतें लेकर आने वाला रमजानुल मुबारक का महीना अब हमसे जुदा होने वाला है। उलेमा-ए-कराम बताते हैं कि इस माहे मुकद्दस में की गई इबादतों का सिला (फल)अल्लाह ताअला अपने बंदों को चाद रात को अता फरमाता है। माहे मुबारक में न सिर्फ लोग कसरत से रोजा रखते हैं, बल्कि सुन्नत व नवाफिल नमाज पढ़ने व तिलावते कुरआन पाक की होड़ लग जाती है। नमाजे तरावीह में लोगों की भारी तादाद रहती है, जबकि गरीबों की मदद, रोजेदारों को इफ्तारी कराने में लोग पीछे नहीं रहते। यही वजह है कि इस माहे मुबारक को बरकतों व रहमत का मौसमे बहार कहा जाता है। हालाकि एक माह की इबादतों का इनाम पाने की रात अधिकतर लोग लापरवाह हो जाते हैं। ईद का चाद नजर आते ही खरीदारी के लिए सीधे बाजार में निकल जाते हैं। अकबरपुर नूरी मस्जिद के मौलाना असलम मिस्बाही का कहना है कि यहीं लोग चूक करते हैं। बताया कि माहे रमजान भर की गई नेकियों व इबादतों का इनाम पाने की यही रात है। कहा कि लोग ईद की खुशियों में डूबकर इसी रात अल्लाह से गाफिल हो गए तो यह बदनसीबी की बात होगी। मौलाना ने अल्लाह के रसूल की प्यारी हदीस का हवाला देते हुए कहा कि जब ईदुलफितर की रात आती है तो अल्लाह ताअला फरिश्तों से फरमाता है कि इस मजदूर का क्या बदला है जिसने अपना काम पूरा कर लिया। फरिश्ते कहते हैं इन्हें इनका पूरा हक मिलना चाहिए। जिस पर अल्लाह ताअला फरमाता है कि मैं तुम्हें गवाह करता हूं कि मैने इन्हें बख्श दिया। बताया कि इस हदीसे पाक से यह साबित होता है कि चाद रात ही नेकियों का बदला लेने की रात है। अपनी इबादतों की मकबूलियत व जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए दुआ मागनी चाहिए। अल्लाह ताअला बेहद रहम वाला है। वह अपने नेक बंदों को कभी मायूस नहीं करता।