सांसारिक शिक्षा के बिना तरक्की की परिकल्पना मुश्किल
जासं, इलाहाबाद : धर्म-संस्कृति की शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा प्राप्त करना बेहद आवश्यक है। आधुनिक
जासं, इलाहाबाद : धर्म-संस्कृति की शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा प्राप्त करना बेहद आवश्यक है। आधुनिक युग में बिना सांसारिक शिक्षा के तरक्की की परिकल्पना मुश्किल है। यह कहना है दैनिक जागरण के संपादकीय प्रभारी जगदीश जोशी का। वह शनिवार को बख्शीबाजार स्थित मदरसा वसीअतुल उलूम में आयोजित 'मदरसों में सांसारिक शिक्षा के महत्व' शीर्षक व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त कर रहे थे।
श्री जोशी ने कहा कि पढ़ाई केवल स्कूलों, मदरसों में नहीं होती। बल्कि मनुष्य अपने समाज, मोहल्ले, घर और गली से भी सीखता है। कहा कि हर दौर में शिक्षा का शोधन हुआ है। आज के युग में धार्मिक शिक्षा का निर्मलीकरण सांसारिक और तकनीकी शिक्षा के रूप में हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मदरसों का जिक्र आते ही हमारे जहन में धर्म की गूढ़ शिक्षा का ख्याल आता है। परन्तु मदरसा वसीअतुल उलूम ने धर्म और संस्कृति के संरक्षण के साथ आधुनिक शिक्षा देने का कदम आगे बढ़ाया है, जो प्रशंसनीय है। कहा कि जहां आज सामान्य संस्थान व्यवसायिक और तकनीकी शिक्षा के नाम पर भारी भरकम शुल्क ले रहे हैं, ऐसे में यहां परंपरागत व्यवसायिक कोर्स, कंप्यूटर के पाठ्यक्रम और भाषाओं में प्रवीणता का डिप्लोमा, इन सभी में आसानी से दाखिला युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहतरीन कदम है। तरक्की के लिए अन्य मदरसे इसे मॉडल के रूप में आत्मसात कर सकते हैं।
अध्यक्षता कर रहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अरबी-फारसी विभाग की विभागाध्यक्ष डा. सालेहा रशीद ने कहा कि सभी मजहब दुनिया के लिए हैं। मजहबी तालीम आपको दुनिया में रहने का हुनर सिखाती है। बशर्ते आप उसे ईमानदारी और लक्ष्य के साथ प्राप्त करें। मानद अतिथि मदरसे के सचिव डा. अहमद मकीन ने कहा कि मदरसे में दुनियावी शिक्षा का क्रेज लगातार बढ़ा है। अब यहां पर (दीनी) कुरान हदीस के परंपरागत पाठ के साथ गणित, विज्ञान, ¨हदी और अंग्रेजी सहित दीगर तकनीकी शिक्षा की तालीम आसानी से मिल रही है। इसका मकसद मकतबों से निकलने वाले युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा उपलब्ध कराना है। संचालन कर रहीं डा. आबिदा खातून ने कहा कि दुनिया तालीम की तरफ भाग रही है, तरक्की के लिए मुस्लिम बच्चों को दीन और दुनिया के भेद के बिना केवल शिक्षा प्राप्ति की ओर ध्यान देना चाहिए। कार्यक्रम में मूसा कासिम, आयशा खातून, सईद अख्तर, मो. उमर ने विचार रखे। धन्यवाद मो. अमीन ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर तहसीन बानो, राजेश तिवारी, सुशील श्रीवास्तव, मो. जैदी, जेया जमाली और मौलाना अनवार सहित संस्थान के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।