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'इडिपस' की कहानी देख आंखें हुई नम

जासं, इलाहाबाद : उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में शनिवार की शाम दुनिया की

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Apr 2017 09:17 PM (IST)Updated: Sat, 29 Apr 2017 09:17 PM (IST)
'इडिपस' की कहानी देख आंखें हुई नम
'इडिपस' की कहानी देख आंखें हुई नम

जासं, इलाहाबाद : उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में शनिवार की शाम दुनिया की दर्दनाक कहानी 'इडिपस' नाटक का मंचन हुआ। महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय ¨हदी विश्वविद्यालय वर्धा के क्षेत्रीय केंद्र इलाहाबाद के पीजी डिप्लोमा इन परफार्मिग आर्ट्स विभाग द्वारा प्रस्तुत नाटक देख उपस्थित दर्शकों की आंखें नम हो गईं।

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मुख्य अतिथि दिल्ली से आए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक देवेंद्र राज अंकुर रहे। कलाकारों ने अपने अभिनय कौशल के जरिए दिखाया कि किस तरह से राजा इडिपस अपने भाग्य को बदलने की कोशिश करता है लेकिन होता वही है जो निर्धारित होता है। नाटक में दिखाया गया कि राजा लायस तथा उसकी पत्‍‌नी जोकास्टा की कोई संतान नहीं थी। काफी मन्नतों के बाद उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति होती है पर खुशियां ज्यादा दिन तक नहीं टिकती हैं। एक भविष्यवाणी होती है कि उनका पुत्र ही अपने पिता का कत्ल करेगा तथा अपनी मां से विवाह कर बच्चे पैदा करेगा। इस भविष्यवाणी से आतंकित होकर राजा ने अपने नवजात शिशु को मारने के लिए सैनिकों को भेज दिया लेकिन बच्चा बच जाता है और होता वही है जो भविष्यवाणी हुई थी। इस कहानी को अपने निर्देशन कौशल से प्रसिद्ध नाट्य निर्देशिका डा. विधु खरे दास ने कलाकारों के माध्यम से बखूबी दिखाया, जिसे देखकर हर किसी की आंखें नम हो गई। कलाकारों में मदन मोहन, जोकास्टा, अर्चना केसरवानी, क्रियान, आशीष पाल, रमा, मनीष तिवारी, संजीत कुमार, प्रदीप कुमार, अभिषेक मिश्र आदि रहे। सह निर्देशन असगर अली, प्रमोद कुमार पांडेय, हस्त शिल्प आकांक्षा वर्मा ने किया। संपादन इमरान खां ने किया।

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ब्राह्मणों को संस्कृत की शिक्षा लेना आवश्यक

इलाहाबाद: अखिल भारतीय ब्राह्माण चेतना समिति व प्रयागराज सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में परशुराम जयंती पर दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित हुआ। शनिवार को दारागंज में ब्राह्माण समाज के द्वारा धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक चेतना पर चिंतन गोष्ठी का आयोजन हुआ। समाज के विद्वान व चिंतकों ने वर्तमान समय में नवयुवक ब्राह्माणों में धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक चेतना के विद्वान व चिंतकों ने वर्तमान समय में नवयुवक ब्राह्माणों में धार्मिक, सामाजिक व राजनैतिक चेतना के उदासीनता पर चिंता व्यक्त की गई। गोष्ठी के संयोजक तीर्थराज पांडेय ने तीन प्रस्ताव रखे। प्राचार्य डा.शंभूनाथ त्रिपाठी ने ब्राह्माणों के लिए संस्कृत का ज्ञान होना आवश्यक बताया।

चोटी सम्राट प्रतियोगिता आज

रविवार को दारागंज स्थित धकाधक चौराहा पर शाम को छह बजे चोटी सम्राट प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी समिति के अध्यक्ष भक्तराज पांडेय ने दी है।


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