'उद्घार का माध्यम है भागवत'
जासं, इलाहाबाद : श्रीमद्भागवत, कलयुग में जीवों के उद्धार का साधन है। शरीर, मन, वाणी, बुद्धि व स्वभाव
जासं, इलाहाबाद : श्रीमद्भागवत, कलयुग में जीवों के उद्धार का साधन है। शरीर, मन, वाणी, बुद्धि व स्वभाव से किए गए सभी कर्म परमात्मा को समर्पित करना भागवत धर्म है। श्री निम्बार्क आश्रम रामबाग में शुरू हुए श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह के पहले दिन मंगलवार को डॉ. गिरजाकांत शुक्ल ने उक्त विचार व्यक्त किए।
कहा कि गीता के ज्ञान का क्रियात्मक भक्तियोग ही भागवत है। भागवत तो आत्मतत्व को प्रकाशित करने वाला दीपक है। इसके जरिए मनुष्य का उद्धार होता है। डॉ. शुक्ल ने कहा कि मनुष्य योगी कृपा साध्य है। यह केवल सुख-दु:ख भोगने के लिए नही मिली है। बल्कि जप-तप करके जन उत्थान का प्रयत्न करना चाहिए। व्यवस्थापक लक्ष्मीकांतम् ने आश्रम की प्राचीनता पर प्रकाश डाला। महंत स्वामी राधा माधवदास ने आशीष वचन दिया।