'बातियों' को 'रोशनी' दे रहीं हनी गौड़
रमेश यादव, इलाहाबाद : कहते हैं कि अच्छा गुरु मिल जाए तो हुनर आसमान नाप सकता है। शिष्यों का भविष्य
रमेश यादव, इलाहाबाद : कहते हैं कि अच्छा गुरु मिल जाए तो हुनर आसमान नाप सकता है। शिष्यों का भविष्य संवारने वाली ऐसी ही एक गुरु हैं हनी गौड़। हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की नगरी में स्टिक की परंपरा को जीवित रखने में लगी हुई हैं। उनकी सीख से शहर की कई लड़किया प्रदेश स्तर पर खेल कर शहर का नाम रोशन कर रही हैं।
मूलरूप से गोरखपुर की रहने वाली हनी गौड़ की शादी 20 साल पहले इलाहाबाद में हुई थी। यहां वह एलडीसी कालोनी में रहती हैं। उन्होंने देखा कि लड़के तो हॉकी खेलने में दिलचस्पी दिखाते हैं, लेकिन लड़कियां पीछे रहती हैं। उन्होंने प्रण किया कि वह लड़कियों को भी आगे लाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगी। उन्होंने लड़कियों को कोचिंग देने पर जोर दिया। समय-समय पर कई खिलाड़ियों को तैयार किया। जिन्होंने जनपद का नाम रोशन किया। लेकिन जब वह बड़े पटल पर कुछ करने का दमखम हासिल कर पाई तब उनके कदम 'परिवार' की बेडि़यों में जकड़ गए। हालांकि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। हॉकी में लड़कियों को आगे बढ़ाने की अपनी जद्दोजहद जारी रखी। पिछले साल जब फरमान आया कि स्कूलों में बालिका हॉकी खिलाड़ियों को तैयार करना है। तब हनी गौड़ को एक नई ऊर्जा मिली। कोच हनी गौड़ बताती हैं कि अभी तक 150 से अधिक बालिका खिलाड़ियों को हॉकी के गुर सिखा चुकी हैं। जो प्रतिभावान हॉकी खिलाड़ी हैं उनकी आर्थिक मदद भी करती हैं ताकि दिव्य रोशनी का प्रकाश होने से न रुके।
अटाला की रहने वाली शाकीना अकील रिजवी बताती हैं कि उन्हें हॉकी खेलना पसंद है। लेकिन कहीं पर कोचिंग नहीं मिल पा रही थी। कोच हनी गौड़ से संपर्क होने के पश्चात उनकी हॉकी खेलने की लालसा और बढ़ गई है। खुल्दाबाद की रहने वाली प्राची कुशवाहा और ईशा श्रीवास्तव भी हनी हॉकी के गुर सीख रही हैं। ऐसी कई बालिका खिलाड़ी हैं, जो केवल इसलिए हॉकी खेलना सीख रहीं हैं। क्योंकि उन्हें हनी गौड़ के रूप में 'द्रोणाचार्य' गुरु मिला है।
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