'भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु क्रांति का पर्याय बने थे'
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : देश की रक्षा को प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूतों का गुरुवार को भ
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : देश की रक्षा को प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूतों का गुरुवार को भावपूर्ण नमन हुआ। मौका था श्री सुमंगलम् संस्था की ओर से आयोजित सम्मान एवं राष्ट्रवादी कवि सम्मेलन का। कवियों ने अपनी रचना के जरिए श्रोताओं को देशभक्ति से ओतप्रोत कर दिया। डॉ. अर्जुन सिसोदिया ने 'करो देशद्रोह पर प्रहार योगी जी-रुके नहीं शौर्य की हुंकार योगी' सुनाकर तालियां बटोरीं। वहीं सुमित ने 'भगत सिंह, सुखदेव राजगुरु क्रांति का पर्याय बने थे-युगों युगों तक पढ़े जाएंगे ऐसा एक अध्याय बने थे' सुनाकर क्रांतिकारियों को नमन किया।
आशीष अनल ने 'इतना तिरंगे को झुकाया जा चुका-आजादी की कितनी सजा वो पा चुका' सुनाया। जबकि गौरव चौहान ने 'यूं लगा कि बच्चों ने वो अभिज्ञान लिख दिया-पहला पर्याय लिखा साहस तो यूं लगा कि जय जवान जय किसान व जय विज्ञान लिख दिया' सुनाकर वाहवाही लूटी।
इसके पहले शहीद गिरीश शुक्ल की पत्नी व शहीद राघवेंद्र शुक्ल की मां कविता देवी को सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने उन्हें सम्मानित किया। कहा कि देश की सुरक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूतों के परिजनों को सम्मानित करके वह स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। डॉ. यूबी यादव ने राष्ट्रधर्म के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। अध्यक्षता हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने की। संचालन संजय पुरुषार्थी ने किया। कार्यक्रम में बीबी अग्रवाल, अरविंद, आचार्य शांतनु, इंद्रमणि द्विवेदी, पवन श्रीवास्तव, अरुण अग्रवाल, अमित सिंह मौजूद रहे।