पौष फेस्टिवल में उमड़ा बंगाली समाज
जासं, इलाहाबाद : किसी ने बंगला लोक गीत तो किसी ने रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों कोगाकर श्रोताओं को झूमने
जासं, इलाहाबाद : किसी ने बंगला लोक गीत तो किसी ने रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों कोगाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। मौका था रविवार को एंग्लो बंगाली इंटर कालेज में बंगाली सोशल एंड कल्चरल एसोसिएशन द्वारा आयोजित पौष फेस्टिवल का। बंगाली समाज के लोगों ने खाद्य सामग्री से संबंधित 34 स्टाल लगाए। खान-पान के स्टालों पर भीड़ लगी रही।
सिटी बारवारी दुर्गा पूजा कमेटी की सदस्य नेहा शुक्ला द्वारा कंबल का स्टाल लगाया गया। वहीं, मनोज द्विवेदी व सीमा शुक्ला द्वारा वेस्ट मेटेरियल से बनाई गई ज्वैलरी लोगों को खूब भाई। इतना ही नहीं, प्राकृतिक सामानों से बनाई गई इय¨रग भी आकर्षण का केंद्र रही। मेले में बच्चों ने विलो फारटून गेम्स का खूब लुत्फ उठाया और आकर्षक प्राइज जीते। गेम खेलने के लिए बच्चों की भीड़ लगी रही।
इससे पहले एक दिवसीय फेस्टिवल का उद्घाटन प्रो. महेश चट्टोपाध्याय ने किया। उन्होंने बताया कि मेले का उद्देश्य आपसी सामंजस्य को बढ़ावा देना है। पौष माह भाईचारे का संदेश देने वाला माह है। इसका अंदाजा मेले में आए बंगाली और अन्य समाज के लोगों को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। इस मौके पर पूर्व आयुक्त बादल चटर्जी, आलोक बनर्जी, डा. मुक्ति व्यास, स्वास्तिक बोस, रवींद्र मिश्रा, डा. अमिताभ बसु, रणदीप बनर्जी, गोपाल बोस, राना चंद्र, कल्याण कुमार घोष, अ¨रदम घोष, शंकर आदि मौजूद रहे।
खजूर के रसगुल्लों ने लुभाया
इलाहाबाद : बंगाली समाज द्वारा आयोजित पौष फेस्टिवल में खजूर से बने रसगुल्लों ने लोगों को खूब लुभाया। स्टाल पर भीड़ लगी रही। इसके अलावा, फिस चाप, पीठे, पाठी शाप्टा, रंगा आलूरपुली, गोकुल पीठे, खजूर गुडे़ पारस खाद्य सामग्री को जी भरकर खाया। बंगाली लजीज व्यंजनों की सुगंध से कैंपस महकता रहा।