Move to Jagran APP

एटीएम में भीड़ फुल, नकदी गुल

जासं, इलाहाबाद : पिछले एक महीने से बार-बार लाइन में खड़े होकर आजिज आ चुके हैं। नोट बदलने के लिए लाइन,

By Edited By: Published: Tue, 06 Dec 2016 07:18 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2016 07:18 PM (IST)

जासं, इलाहाबाद : पिछले एक महीने से बार-बार लाइन में खड़े होकर आजिज आ चुके हैं। नोट बदलने के लिए लाइन, खाते से रुपये निकालने के लिए लाइन। एटीएम से नकदी निकालने के लिए लाइन। यह समझ नहीं आता है कि ड्यूटी करें या लाइन में खड़े रहें। खाते से पंजीरी जैसे रुपये निकल रहे हैं। एटीएम से भी दो हजार से ज्यादा नहीं निकल पा रहे हैं, जबकि ढाई हजार रुपये निकलने चाहिए। मगर ऐसा नहीं हो रहा है। ऐसे में आखिरकार लोग क्या करें। कहां जाए। कैसे जरूरत भर के लिए रुपयों की व्यवस्था हो। मंगलवार को एटीएम की कतार में खड़े अधिकांश लोगों की यही पीड़ा थी। लोगों को रुपये निकालने के लिए इधर-से-उधर भटकना पड़ा।

loksabha election banner

बेली अस्पताल में तीन दिन से भर्ती आकाश के परिजन को दवा लेने के लिए रुपयों की जरुरत थी। वह अस्तपाल के सामने स्थित इंडश बैंक के एटीएम पहुंचे। लेकिन उसमें रुपये नहीं थे। किसी ने बताया कि पत्रिका चौराहे के आगे स्थित एसबीआइ के एटीएम से रुपये मिल जाएंगे। टेंपों से वहां गए तो वहां पर भी कैश नहीं था। फिर कचहरी रोड पर स्थित एसबीआइ के एटीएम पर पहुंचे। वहां रुपये निकल रहे थे लेकिन लंबी लाइन थी। करीब दो घंटे बाद रुपये निकल पाए। उसके पश्चात जाकर बीमार को दवा मिल पाई। जार्ज टाउन में रहने वाले राम सिंह पास में स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के एटीएम पर पहुंचे तो नकदी नहीं थी। बगल में भारतीय स्टेट बैंक का एटीएम भी खाली था। मेडिकल चौराहे पर स्थित एसबीआइ के एटीएम में पैसे नहीं थे। उन्हें आखिर में मजबूर होकर कटरा आना पड़ा। यहां बैंक ऑफ बड़ौदा का एटीएम भी बंद था। आखिर में सेंट्रल बैंक के एटीएम से रुपये निकले पाए। लेकिन लगभग एक घंटे तक लाइन में लगे रहने पर। नकदी की तलाश में लोग सिविल लाइंस, कटरा, चौक समेत अन्य बाजारों और शहर की गलियों में एक एटीएम से दूसरे एटीएम भटकते रहे।

पब्लिक के बोल..

मुझे अपने बेटे के इलाज के लिए दोपहर तक रुपये जमा करने थे। लेकिन तीन-चार एटीएम टहलने पर रुपये नहीं मिल पाए। एसबीआइ की त्रिवेणी शाखा स्थित परिसर में लाइन लंबी थी। बाद में दूसरे एटीएम से रुपये मिल पाए।

-आनंद मिश्र, सेवानिवृत्त कर्मचारी

मुझे एक व्यक्ति को एटीएम से पैसा ट्रांसफर करना था। इसके लिए कई बार प्रयास किया। लेकिन रुपये ट्रांसफर नहीं हो पाए। एटीएम से रुपये निकल नहीं रहे हैं। पैसे ट्रांसफर हो नहीं रहे हैं। ऐसे में जनता क्या करे। जनता की सुनने वाला कोई नहीं है।

-देवेंद्र किशोर, व्यापारी

एटीएम से एक बार में ढाई हजार रुपये निकालने की व्यवस्था है। लेकिन एटीएम से दो हजार रुपये ही निकल रहे हैं। पांच सौ की नोट है ही नहीं। इससे लोगों में आक्रोश है। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एटीएम से एक बार में ढाई हजार रुपये निकले।

-रवि सिंह, छात्र

मैं यहां रहकर पढ़ाई कर रहा हूं। घर वालों ने खर्च के लिए खाते में रुपये डाले थे। मेरे पास केवल एटीएम कार्ड है। इसलिए रुपये निकालने के लिए एटीएम के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। बिना चार-छह एटीएम घूमे कहीं पैसा नहीं मिल पाता है।

-कैलाश यादव, छात्र

नोटबंदी के पश्चात घर चलाने में बहुत दिक्कत आ रही है। सभी चीजों में कटौती करने के बाद भी घर चलाने के लिए जितने पैसे की आवश्यकता है उतने की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। ऐसे में बैंक और एटीएम का क्या कहना।

-कल्पना श्रीवास्तव, गृहिणी

नोटबंदी के बाद आलम यह है कि जब कभी फुर्सत मिलती है तो एटीएम से रुपये निकालने के लिए चली आती हूं। ऐसा कभी नहीं होता है कि चार-पांच एटीएम घुमने न पड़ें। जनता परेशान है। सरकार है कि आश्वासन ही देती रहती है।

-सरोज मिश्रा, गृहिणी

बड़े बैंकों के एटीएम से ज्यादा दर्द

शहर में लगभग 50 फीसद एटीएम भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक के लगे हुए हैं। भारतीय स्टेट बैंक के आधे एटीएम ही चल पा रहे हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक के एटीएम नियमित न चलने से लोगों को ज्यादा परेशानी हो रही है। बैंक बंद रहने पर बैंक के खाता धारक सबसे पहले अपने एटीएम के चक्कर लगाते हैं। लेकिन इनके न चलने से लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ता है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, सेंट्रल बैंक के एटीएम भी लगातार नहीं चल रहे हैं। प्राइवेट बैंक में एचडीएफसी और आइसीआइसीआइ के कुछ एटीएम ही चल पा रहे हैं। शहर में सभी बैंकों के 250 एटीएम हैं। इसमें से 15 फीसद से अधिक एटीएम न चलने से लोगों को ज्यादा परेशानी हो रही है।

आज बैंकों में रहेगी जबर्दस्त भीड़

रविवार और मंगलवार को बैंक बंद रहे। सोमवार को बैंक खुलने पर लोगों की भीड़ थी। बुधवार को जब फिर बैंक खुलेंगे तो जबर्दस्त भीड़ होने का अनुमान है। एक दिसंबर से पेंशनर्स और वेतनभोगियों की भीड़ बैंक से कम नहीं हो रही है। एक मुश्त 24 हजार रुपये न मिलने से लोग बार-बार बैंकों में रुपये निकालने के लिए पहुंच रहे हैं। इसलिए बैंकों में भीड़ बढ़ रही है। घट नहीं रही है।

वर्जन

भारतीय रिजर्व बैंक से बैंक जितनी करेंसी मांग रहे हैं, उतनी मिल नहीं रही है। इसलिए सभी बैंकों के एटीएम नहीं चल पा रहे हैं। बैंकों की कोशिश है कि एटीएम को जल्द से जल्द नियमित चलाया जाए। एजेंसी भी एटीएम में नकदी डाल रही हैं।

-विजय शर्मा, लीड बैंक (बैंक ऑफ बड़ौदा) मैनेजर।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.