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बैंकों में शोर-शराबा, 15 तक राहत नहीं

जासं, इलाहाबाद : केंद्र सरकार बार-बार दावा कर रही है कि बैंकों में नकदी का संकट नहीं है। भारतीय र

By Edited By: Published: Mon, 05 Dec 2016 09:34 PM (IST)Updated: Mon, 05 Dec 2016 09:34 PM (IST)
बैंकों में शोर-शराबा, 15 तक राहत नहीं

जासं, इलाहाबाद : केंद्र सरकार बार-बार दावा कर रही है कि बैंकों में नकदी का संकट नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) सभी बैंकों को पर्याप्त करेंसी उपलब्ध करा रहा है। किंतु, सच्चाई यह है कि लोग बार-बार खाते से रुपये निकाल रहे हैं। उन्हें एक मुश्त में 24 हजार रुपये नहीं मिल पा रहे हैं। फिलहाल 15 दिसंबर तक ऐसा ही सिलसिला चलने वाला है। सोमवार को शहर में बैंकों में वेतनभोगियों और पेंशनर्स की जबर्दस्त भीड़ रही। एक मुश्त में पूरे रुपये न मिलने पर लोगों ने शोर-शराबा किया।

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एक दिसंबर से वेतन और पेंशन आने पर बैंकों में भीड़ बढ़ गई है। पेंशनर्स और वेतनभोगी खाते से रुपये निकालने के लिए लाइन में खड़े रहते हैं। लेकिन बैंकों के पास पर्याप्त नकदी न होने पर उनकी तकलीफ कम नहीं हो रही है। 10 हजार रुपये तक भुगतान होने पर लोगों को बार-बार रुपये निकालने के लिए बैंक जाना पड़ रहा है। सोमवार को जैसा कि पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि भीड़ अधिक रहेगी वैसा ही रहा। लोग बैंक खुलने से पहले ही गेट पर पहुंच गए। सिविल लाइंस स्थित तमाम बैंकों के मुख्य बैंक समेत अन्य शाखाओं में लोगों का हुजूम उमड़ा। मंगलवार को बैंक बंद रहेंगे। इसलिए सोमवार को भीड़ अधिक रही। भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर अन्य सरकारी बैंकों में 10 हजार रुपये मिलने से बैंकों में शोर-शराबा हुआ। लोगों को उम्मीद थी कि सोमवार को एक मुश्त में 24 हजार रुपये मिल जाएंगे, लेकिन ऐसा न हुआ। इसके कारण बैंक कर्मियों को लोगों के गुस्से का कोप भी सजना पड़ा। लोग रुपये न मिलने पर बैंक कर्मियों को कोसते रहे। केंद्र सरकार द्वारा झूठे दावे करने पर कड़ी आलोचना करते रहे।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने दावा किया था कि एक दिसंबर से वेतनभोगियों और पेंशनर्स के लिए अतिरिक्त पैसा भेजा जाएगा। लोगों को परेशानी नहीं होगी। जबकि सच्चाई यह है कि बैंक 30 नवंबर से पहले जितना पैसा दे रहे थे उतना अभी भी दे रहे हैं। बल्कि इसमें कटौती ही हुई है। बढ़ोतरी नहीं हुई है। सोमवार को भी एक मुश्त में पूरी रकम न मिलने पर लोगों ने इसकी शिकायत बैंक अधिकारियों से की। लेकिन बैंकों ने लोगों को जवाब दिया कि जितना पैसा आरबीआइ दे रहा है उसके मुताबिक लोगों को बांटा जा रहा है।

लीड बैंक (बैंक ऑफ इंडिया) मैनेजर विजय शर्मा का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक सभी बैंकों को करेंसी उपलब्ध करा रहा है। लेकिन इस समय लोग केवल खातों से रुपये निकाल रहे हैं। जमा नहीं करा रहे हैं। इसके कारण नोटों की किल्लत खत्म नहीं हो रही है। फिलहाल अगले दस दिन तक बैंकों में ऐसा ही माहौल रहने वाला है।

आज फिर एटीएम का सहारा

मंगलवार को सार्वजनिक अवकाश होने के कारण बैंक बंद हैं। इसलिए लोगों को रुपये निकालने के लिए एटीएम ही तलाशने पड़ेंगे। शहर में 15 फीसद से अधिक एटीएम न चलने पर लोगों को बैंक बंद रहने पर दर-दर भटकना पड़ता है। बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक के एटीएम न चलने से परेशानी अधिक हो रही है। अगर दोनों बैंक के सभी एटीएम चलने शुरू हो जाएं, तो 25 फीसद समस्या खत्म हो जाए। बैंक ऑफ बड़ौदा का दावा है कि एटीएम जल्द चालू हो जाएंगे। वैसे भारतीय स्टेट बैंक, सेंट्रल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी, आइसीआइसीआइ के एटीएम चलने से लोगों को थोड़ी राहत है। मगर इसके भी सभी एटीएम नहीं चल पा रहे हैं। शहर में सभी बैंकों के 250 एटीएम हैं।

इनसेट..

ग्रामीण बैंकों में नकदी संकट गंभीर

जनपद में 40 बैंकों की सवा पांच सौ शाखाएं हैं। इसमें से 113 शाखाएं बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक की हैं। इसमें से 103 शाखाएं ग्रामीण व अर्ध शहरी क्षेत्रों में है। नोट बंदी के पश्चात सबसे खराब स्थिति बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक की शाखाओं की है। नकदी संकट के कारण तमाम शाखाओं में तीन चार दिनों तक लोगों को रुपये नहीं मिल पा रहे हैं। जबकि इन शाखाओं पर लोगों की जबर्दस्त भीड़ उमड़ती है। बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक को कानपुर स्थित भारतीय रिजर्व बैंक से सीधे करेंसी मिलती है। वहां से पर्याप्त नकदी न मिलने पर परेशानी अधिक हो रही है। ग्रामीण बैंक में नकदी का संकट बरकरार रहने पर सबसे ज्यादा प्रभाव कृषि कार्यो पर पड़ रहा है। रुपये के अभाव में खेती के कार्य प्रभावित हो रहे हैं।


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