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आपके कदमों पर होगी मंजिल स्वयं का करें आकलन

संस्कारशाला .. हर कोई जीवन में सफल होना चाहता है। वैसे तो सफलता की कोई निश्चित परिभाषा नहीं होती,

By Edited By: Published: Thu, 20 Oct 2016 07:39 PM (IST)Updated: Thu, 20 Oct 2016 07:39 PM (IST)

संस्कारशाला ..

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हर कोई जीवन में सफल होना चाहता है। वैसे तो सफलता की कोई निश्चित परिभाषा नहीं होती, पर आमतौर पर जीवन में निर्धारित कि ए गए लक्ष्यों की प्राप्ति ही सफलता कहलाती है। व्यावहारिक दृष्टि से देखा जाए तो पारिवारिक जीवन में शाति, रहने के लिए एक अच्छा घर, चलाने के लिए एक बढि़या कार, परिवार के साथ व्यतीत करने के लिए पर्याप्त समय और खर्च करने के लिए पर्याप्त धन होने को ही सफलता समझा जाता है। शायद हम में से हर एक की यह इच्छा होती है। ऐसे हजारों उदाहरण हमारे सामने हैं जहां पर लोगों ने अलग अलग क्षेत्रों में सफलता अर्जित की है। जहां लोगों ने अपने महत्व को जाना और अपने भीतर छुपी प्रतिभा को पहचाना और उसी क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए सफलता को हासिल किया। महान दार्शनिक सुकरात ने कहा है कि जीवन का आनंद स्वयं को जानने में है। स्वयं का निरीक्षण करना, अपनी प्रतिभा का पता लगाना और अपनी उस विशेष प्रतिभा का निरंतर विकास करना। वास्तव में यही हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। यदि हम ऐसा कर लेते हैं, तभी सही मायने में हम सफल हो पाएंगे। प्रकृति ने हम सभी को अलग-अलग बनाया है। सभी एक दूसरे से भिन्न है और सभी के अंदर एक विशेष गुण होता है। अपने अंदर की विशेष योग्यता को समझने के लिए पहले जरूरी है कि हम यह जानें कि आखिर ये विशेष गुण या प्रतिभा क्या होती है। कोई ऐसा कार्य जो आप दूसरों की अपेक्षा अधिक निपुणता से करते हैं, यानि की आपका टैलेंट कोई भी ऐसा काम जो आप पूरी लगन और मेहनत के साथ करते हैं। जिसे करने में आप कभी थकते नहीं और इसका भरपूर आनंद उठाते हैं। जो आपको और आपके आसपास के लोगों को उत्साहित करता है। जिसे आप कुशलता के साथ करना चाहते हैं और आपको उसमें सुधार की भरपूर संभावनाएं दिखाई देती हैं। यही आपकी विशेषता है। जि़न्दगी का भरपूर आनंद लेने के लिए जरुरी है कि अपने जुनून को पहचानना और ध्यान केंद्रित कर उस जुनून को जीना। अलग शब्दों में कहा जाए तो जिंदगी में परमानन्द के लिए जोश और उत्साह के साथ-साथ एक दिशा भी आवश्यक है। गणितग्य टेरेंस ताओ मिसाल है एक ऐसे व्यक्ति की जिसने अपने महत्व को बहुत जल्द पहचाना और पूरे जोश के साथ उसी दिशा में चलता रहा। टेरेंस जब दो साल का था तो उसने टेलीविजन पर 'सेसमी स्ट्रीट' कार्टून देखकर अंग्रेजी पढ़ना सीखा। तीन साल की उम्र में वो गणित के समीकरण के सवाल सुलझा रहा था। नौ साल की उम्र में उसने विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और 16 साल में गणित में मास्टर्स डिग्री कर ली। 21 साल में गणित में पीएचडी की उपाधि पाई और 24 साल की उम्र में अमरीका के यूसीएलए विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर बन गए। यही नहीं 30 साल की उम्र में उसे फील्डस मेडल से सम्मानित किया गया। जो कि गणित में नोबल पुरस्कार के समान है। जिंदगी सिर्फ एक बार ही मिलती है। अगर आप चाहते हैं कि उसे खुशी से जिया जाए और जीवन भरपूर आनंद उठाया जाए, तो फिर जो आपका पैशन है उसे अपना प्रोफेशन बनाइए। शुरुआती दौर में शायद कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, पर यकीन मानिए कि अतत: आपका जीवन खुशियों से भरा हुआ होगा। इसलिए अपने महत्व को समझ कर समाज और करियर बनाने की दिशा में कार्य करें। निश्चित ही सफलता के पायदान पर आप होंगे। विद्यार्थी को कभी किसी से कमजोर नहीं समझना चाहिए। वह क्या है क्या कर सकता है। इसका उसे ज्ञान होना चाहिए। जब हमें यह ज्ञान हो जाता है तो हम सफलता के शीर्ष शिखर को छूने में देरी नहीं लगती है।

-- शुभा वाशिंगटन, प्रधानचार्या मेरी वाना मेकर ग‌र्ल्स इंटर कालेज

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स्वयं के महत्व से जुड़ी है जीवन की प्रगति

स्वयं के महत्व का ज्ञान होने पर हम सब हासिल कर सकते हैं। जिस कार्य में भी हम हाथ लगाते है उस पर सफलता हासिल कर लेते हैं। स्वयं की इस पहचान का महात्मा गाधी ने बहुत ही सटीक ढंग से विवेचन किया है। 'स्वयं को तलाश करने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को दूसरों की सेवा में खो दो। प्रत्येक मनुष्य की सामाजिक मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएं किसी न किसी रूप में अन्य मनुष्यों के साथ जुड़ी होती हैं और यही संबंध स्वयं सेवा का आधार होता है। अन्य लोगों के साथ जुड़ने की जरूरत हमारी भावनात्मक सुरक्षा और सामाजिक सांस्कृतिक पहचान की जरूरत से पैदा होती है। यही जरूरत मनुष्य को खुद की खोल से बाहर निकालकर प्रकृति और अन्य लोगों तक पहुंचाने के लिये प्रेरित करती है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था, 'हिमालय की कंदराओं में बैठा कोई योगी अपने मस्तिष्क को अवाछित पदाथरें की लिप्सा में विचरण करने देता है। 'भारतीय परंपराओं को और विस्तार से बताते हुये विवेकानंद कहते हैं, 'कुछ भी मत मागो, कर्म के बदले कोई इच्छा मत करो- जो कुछ दे सकते हो दो, वही तुम्हारे पास वापस आयेगा। किंतु अभी उसके बारे में मत सोचो, वह हजारों गुना बढ़कर वापस आयेगा, लेकिन उसकी तरफ अपना ध्यान मत लगाए रखो। स्वयं का महत्व समझ में आ जाने के बाद हमारी जीवन की दिशा और दशा में परिवर्तन आ जाता है। हमारी सोच संकीर्ण होने के बजाय वृहद हो जाती है। विद्यार्थियों को भी स्वयं का महत्व समझाने के लिए शिक्षकों को आगे आना होगा। हमारे विद्यार्थियों के अंदर बड़ी ऊर्जा है। लेकिन जब तक उनके बल को याद न दिलाओ वह कुछ करते नहीं है। जैसे ही हम उन्हें उनका महत्व बताते हैं वह एकाएक जाग से जाते हैं। उनका कार्य शैली में परिवर्तन आ जाता है। उनकी कार्यशैली और भाषा शैली को देखकर लगता ही नहीं है कि वह पहले वाला विद्यार्थी है। विद्यार्थी जीवन भटकाव वाला जीवन होता है। इसलिए शिक्षक का दायित्व है कि वह विद्यार्थी का मार्गदर्शन कर उसे उसका महत्व बताए। उसका समाज व देश के प्रति दायित्व समझाएं। शिक्षकों को भी अपना महत्व समझना होगा तभी वह देश के भविष्य को नई ऊर्जा से ओतप्रोत कर सकते हैं। किसी को कोई ज्ञान और उसकी जिज्ञासाओं को शांत करने के पहले स्वयं के बारे में मूल्यांकन करना होता है। इसके बाद ही वह लोगों को कुछ दे और बता सकता है। स्वयं का महत्व बिना समझे किसी को सीख नहीं दी जा सकती है। गुरु आखिर शिष्य का पथ प्रदर्शक व मार्गदर्शक की भूमिका में होता है। विद्यार्थी को भी किसी भी बात को कहने में संकोच करने के बजाय खुलकर अपनी बात रखनी चाहिए। जब हमें अपना महत्व मालूम होगा तभी हम अपनी बात रख सकेंगे।

-- पूजा चन्दोला, प्रधानाचार्या महर्षि विद्या मंदिर नैनी

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शिक्षिकाओं के बोल

हर व्यक्ति को अपना महत्व समझना होगा। जब तक हम यह नहीं समझेंगे तब तक हमारे अंदर आत्म विश्वास की भावना विकसित नहीं हो सकती है। हमारा मनोबल उच्च होने के बजाय कमतर होगा। यही हमारी असफलता का परिचायक है। जैसे ही हमें अपना महत्व पता चलता है हम विश्वास से लबरेज हो जाते हैं।

-- मालती सिंह

जब हमें अपना महत्व का ज्ञान नहीं होता है। लोग हमारा शोषण करते हैं। जैसे ही हमें यह जानकारी होती है कि हम किसी से कमतर नहीं है। वैसे ही हमारा नजरिया बदल जाता है। हम नए आयाम गढ़ने में लग जाते हैं। हमारे लिए कोई कार्य कठिन होने के बजाय सरल लगने लगता है।

-- साधना शुक्ला

स्वयं का ज्ञान होने पर जीवन दिशा बदल जाती है। हम जो भी कार्य करते हैं उसमें नया पन होता है। शिक्षक या शिक्षिकाओं का दायित्व है कि हमारे स्कूल से निकलने वाली पौध को हम इस तरह से सींचे और उनकी देखभाल करें कि उसे स्वयं का महत्व पता चल सके।

-- सुधा मिश्रा

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विद्यार्थियों के बोल

विद्यार्थियों को सफल होने के लिए हर समय अपने कार्य के प्रति तत्पर रहना चाहिए। उसे तब तक करियर में संघर्ष करना चाहिए जब तक वह सफल नहीं हो जाता है। जब हमारा उद्देश्य सही होगा और हम स्वयं के महत्व को समझेंगे सफलता हमारे कदमों पर होगी।

-- आदित्य यादव

जीवन की डोर स्वयं के महत्व पर जुड़ी हुई है। जब हम अपना महत्व समझ लेते हैं सफलता हमारे कदम पर होती है। लेकिन जब हमें अपने शक्तियों के बारे में जानकारी ही नहीं होगी हम जीवन में सफल नहीं हो सकते हैं। इसलिए हर कार्य को करने के पहले स्वयं मूल्यांकन करना चाहिए।

-- आस्था सिंह

सफलता चलकर नहीं आती, हमें उस तक पहुंचना पड़ता है। इसके लिए स्वयं का महत्व अवश्य पता होना चाहिए। जिस व्यक्ति को स्वयं का महत्व नहीं पता, यह नहीं पता है कि वह क्या करना चाहता है क्या बनना चाहता है तो उसका जीवन व्यर्थ है।

--- समृद्धि मिश्रा

एक विद्यार्थी का स्वयं के जीवन में अपना महत्व होता है, जब वह पढ़ाई करता है तो उसका पूरा ध्यान केवल पुस्तकों की तरफ रहना चाहिए उसका यही कर्तव्य होता है कि पढ़ी हुई चीजों को अच्छे से ध्यानपूर्वक समझे और सफलता की ओर बढ़ता रहे।

-- दीपिका पांडेय


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