पहले बवाल फिर चुनाव में ताल
ताराचंद्र गुप्ता, इलाहाबाद यहां जो शीर्षक है वह कुछ लोगों के लिए नारा भी हो सकता है इलाहाबाद केंद्
ताराचंद्र गुप्ता, इलाहाबाद
यहां जो शीर्षक है वह कुछ लोगों के लिए नारा भी हो सकता है इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में। पुलिस का रिकार्ड विभिन्न पदों के लिए किस्मत आजमा रहे छात्र नेताओं को बवाल का आरोपी बताता है, लेकिन यह सिर्फ आरोपी हैं, इसलिए लिंगदोह समिति की सिफारिशों की जद में चुनाव के अयोग्य नहीं। चुनाव अधिकारी कहते हैं कि सिर्फ मुकदमा दर्ज होने मात्र से किसी को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता। यह बात दीगर है कि बुद्धिजीवी और मेधावी छात्र हालात से चिंतित हैं, लेकिन कुछ कर पाने की हालत में नहीं पाते खुद को।
इसी महीने 13 सितंबर को शहर के बघाड़ा में बवाल हुआ था। इलाके में दो दिनों तक दहशत फैली रही। इंस्पेक्टर कर्नलगंज समीर सिंह की ओर से 18 ज्ञात व 500 अज्ञात छात्रों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस ने छह छात्रनेताओं को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा था। पुलिस ने जिन्हें आरोपी बनाया है, उनमें 11 ऐसे छात्र हैं जो सियासी नर्सरी में किस्मत आजमा रहे हैं। लगभग सभी छात्र संगठनों से जुड़े युवा इसमें हैं। एसएसपी जोगेंद्र कुमार कहते हैं कि बघाड़ा बवाल में नामजद और प्रकाश में आए आरोपियों की गिरफ्तारी व कड़ी कार्रवाई के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। इस मामले में विवेचना हो रही है और किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाएगी। इविवि के चुनाव अधिकारी प्रो. आरके सिंह कहते हैं कि जब तक किसी भी छात्रनेता पर आरोप सिद्ध नहीं हो जाता, तब तक वह चुनाव में प्रतिभाग कर सकता है। केवल मुकदमा दर्ज होने से किसी को भी चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता। ऐसा प्रावधान लिंगदोह कमेटी में है।