बेजान कठपुतलियों में जी उठा 'काबुलीवाला'
जासं, इलाहाबाद अपनी आठ साल की बेटी से दूर कलकत्ता की गलियों में मेवे और किसमिस बेचने वाला काबुलीवा
जासं, इलाहाबाद
अपनी आठ साल की बेटी से दूर कलकत्ता की गलियों में मेवे और किसमिस बेचने वाला काबुलीवाला। एक छोटी सी बच्ची से उसके लगाव की भावपूर्ण कथा जब कठपुतलियों के माध्यम से मंच पर जीवंत हुई तो दर्शक भी भावुक हो उठे। अल्फ्रेड पार्क के मेहता प्रेक्षागृह में मयूर पपेट थियेटर के कलाकारों ने बेजान कठपुतलियों के जरिए भावों का प्रदर्शन कर खूब वाहवाही लूटी।
प्रयाग संगीत समिति और भारती सांस्कृति संबद्ध परिषद के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार शाम यह आयोजन हुआ। जिसमें मयूर पपेट थियेटर के कलाकारों ने तीन प्रसिद्ध कथाओं का प्रस्तुतिकरण कठपुतलियों के माध्यम से किया। निर्देशक उमाकांत तिवारी और प्रदीप नाथ त्रिपाठी ने इसमें गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर रचित विख्यात कहानी काबुलीवाला, गुलाबो सिताबो और दिनेश भारती द्वारा रचित द ग्रेट राजा मास्टर का प्रदर्शन किया। कलाकारों ने कठपुतलियों का निर्देशन इतने शानदार ढंग से किया कि बेजान कठपुतलियों में भी मानो काबुलीवाला जीवित हो उठा हो। अन्य कथाओं में भी कठपुतलियों की भंगिमाओं के जरिए भावों का प्रदर्शन किया गया। इस पपेट शो को देखने के लिए शहर में सैकड़ों की संख्या में दर्शक आए हुए थे।
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ सचिव अरुण कुमार, कोषाध्यक्ष आदित्य नारायण, निदेशक देवेंद्र सिंह व सहायक निदेशक नवीन श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से किया। स्वागत भाषण सचिव अरुण कुमार ने दिया। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने कलाकार को समिति का प्रतीक चिह्न नटराज की मूर्ति प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. मधुरानी शुक्ला ने किया।