'एक था मिर्जा' में दिखा समाज का विविध रंग
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : कर्म इंसान की तकदीर बनाता है। अगर कर्म अच्छा है तो हर जगह मान-सम्मान मिल
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : कर्म इंसान की तकदीर बनाता है। अगर कर्म अच्छा है तो हर जगह मान-सम्मान मिलेगा। जबकि गलत कार्य करने वालों को हमेशा अपमान व उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। नाटक 'एक था मिर्जा' के माध्यम से दर्शकों को यही संदेश दिया गया।
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में सोमवार की शाम कला क्रेजी संस्था द्वारा आयोजित व निरंजन सिंह के निर्देशन में मंचित इस नाटक में आम इंसान के विविध रंग को खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया। वहीं कलाकारों ने शानदार अभिनय के जरिए सबको मोहित किया।
कहानी झकपुर नामक गांव के सबसे अमीर आदमी मिर्जा शराफत अली की है। शराफत अली बेहद ही कंजूस प्रवृत्ति का व्यक्ति है, उसका दिल गांव की एक लड़की मेहर पर आ जाता है। मेहर बेहद गरीब लड़की है और गांव के ही एक स्कूल में पढ़ाकर गुजर बसर करती है। कहानी में उस समय नया मोड़ आता है, जब मिर्जा का इकलौता बेटा समीर और मेहर में मोहब्बत हो जाती है। समीर अपने पिता की तिजोरी का पैसा चोरी करके भागने की योजना बनाता है। तिजोरी में रखे पैसों की जानकारी खान नाम के एक शख्स को बता देता है। मिर्जा के पास खजाने की जानकारी होते ही खान उसके घर पहुंच जाता है। अपने जीवनभर की कमाई लुटता देख मिर्जा को दिल का दौरा पड़ता है। घर में शोर की आवाज सुनकर गांव के लोग इकट्ठा हो जाते है और मिर्जा के खजाने को आपस में बांट लेते है। आखिर में समीर और मेहर की शादी हो जाती है।
नाटक में अजय, दीपक, रोहित, सुनील, रुचि, कुलदीप, लवली, अंकित, शोभित, नीतू, ममता, सुधीर ने शानदार अभिनय किया।