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विनाशकारक है वर्तमान विकास : निश्चलानंद

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : विकास की परिभाषा क्या है सरकार को उसे बताना चाहिए। उन्होंने राष्ट्र के व

By Edited By: Published: Mon, 25 Apr 2016 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 25 Apr 2016 01:00 AM (IST)
विनाशकारक है वर्तमान विकास : निश्चलानंद

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : विकास की परिभाषा क्या है सरकार को उसे बताना चाहिए। उन्होंने राष्ट्र के विकास का जो खाका खींचा है, उसके तहत क्या करना चाहते हैं और उससे क्या लाभ होगा, यह सार्वजनिक करने की जरूरत है। पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने उक्त विचार व्यक्त किए।

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रविवार को स्वामी सदानंद आश्रम शंकरघाट तेलियरगंज में 'राष्ट्रोत्कर्ष अभियान की संकल्पना' विषय पर उन्होंने कहा कि इस समय जो विकास हो रहा है वह विनाशकारक है। इससे न शुद्ध पानी मिलेगा, न वायु। यहां तक कि मिट्टी, आकाश की शुद्धता व पवित्रता भी विलुप्त हो रही है।

शंकराचार्य बोले, वेद आधारित विज्ञान से राष्ट्र का शोधन करने की जरूरत है। इसके जरिए हर समस्या का निराकरण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ¨हदुओं को अपनी व्यास पीठ की अखंडता पर ध्यान देना चाहिए। इसे सम्मान देते हुए धर्म का अनुशरण करना चाहिए। कहा कि धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की व्याख्या को समझने की जरूरत है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण धर्म है। धर्म से व्यक्ति की पहचान व कर्तव्य निर्धारित होते हैं। धर्म विहीन इंसान का कोई आधार नहीं होता। पूर्व मंत्री डॉ. नरेंद्र सिंह गौर ने कहा कि संत प्राचीनकाल से सत्ता का मार्गदर्शन करते रहे हैं। आज भी संतों को राष्ट्र का उचित मार्गदर्शन करना चाहिए। संयोजन प्रशांत मिश्र ने किया। इस दौरान आचार्य रामशंकर शुक्ल, प्रो. केबी पांडेय, राधाकांत ओझा, अंजनी सिंह, डॉ. त्रिभुवन सिंह, विक्रांत सिंह, अनुभव उपाध्याय मौजूद थे।


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