मनभावन सुरलहरी में मंत्रमुग्ध हुए श्रोता
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : दूर-दराज के ग्रामीण अंचलों से आए कलाकार मंच पर थिरके तो हर कोई मंत्रमुग्
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : दूर-दराज के ग्रामीण अंचलों से आए कलाकार मंच पर थिरके तो हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया। मनभावन सुरलहरी, आंचलिक नृत्यों की इंद्रधनुषी प्रस्तुति से हर संस्कृति जीवंत हो गई। यह मनोरम दृश्य था उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा माघ मेला क्षेत्र में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम चलो मन गंगा यमुना तीर का।
इसकी 11वीं सांस्कृतिक संध्या पर गुरुवार को मेघालय से आए कलाकारों ने शाद मस्तीय की सराहनीय प्रस्तुति करके तालियां बटोरी। वहीं मिजोरम के कलाकारों ने मातृशक्ति को समर्पित चेराव नृत्य से सबको अपनी संस्कृति से जोड़ा। दो बांसों के समानांतर वादन की ध्वनि पर लयात्मक नृत्य को सबने खूब सराहा। महाराष्ट्र के समुद्र तटीय क्षेत्रों के मछुआरों द्वारा प्रस्तुत कोली नृत्य व हरियाणा के कलाकारों का भगवान शिव को समर्पित जंगम नृत्य सराहनीय रहा। यशस्वी गुप्ता के गायन 'गाइये गणपति जगवंदन शंकर सुवन भवानी नंदन' से कार्यक्रम का आरंभ किया। ठुमरी 'हमरी अटरिया पे आजा रहे सजनवा' की मधुर प्रस्तुति की। वहीं मिर्जापुर की मायत्री सिंह ने देवी गीत 'निमिया के डार कचनार हो मइया झूले झूलनवा' व कजरी 'आज तोहरे कोठा पे पतंग लड़ी उमंग से जंग लड़ब ना' सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं मेनका मिश्रा ने सुगम संगीत 'ऐसे हैं मेरे राम विनय भरा हृदय करे सदा प्रणाम' व सूफी गायन 'छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाय के' खूब पसंद किया गया। अमलेश शुक्ल ने 'मर्यादा है इस देश की पहचान है गंगा' सुनाकर मोक्षदायिनी की महिमा का बखान किया। इनके अलावा केवल कुमार का लोकगायन, रामनरेश विश्वकर्मा, सुरेंद्र पटेल, अजय तिवारी, श्यामलाल पटेल के लोकगीत सबको भाए।