संतों की ललकार, मठ-मंदिर छोड़े सरकार
जासं, इलाहाबाद : धर्म के जरिए आम इंसान को सदाचार का पाठ पढ़ाने वाले संत देश की आर्थिक, सामाजिक और धा
जासं, इलाहाबाद : धर्म के जरिए आम इंसान को सदाचार का पाठ पढ़ाने वाले संत देश की आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक व्यवस्था से व्यथित नजर आए। देश के प्राचीन मठ-मंदिरों में सरकारी अधिग्रहण पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उसे मुक्त करने की एकस्वर में आवाज उठाई। मौका था माघ मेला क्षेत्र के दंडी स्वामीनगर में सनातन धर्म संसद का। दंडी संन्यासी समिति के संरक्षक स्वामी महेशाश्रम के संयोजन में बैठी धर्म संसद की अध्यक्षता कर रहे जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने गौ और गंगा की रक्षा को हो रहे प्रयास को अपर्याप्त बताया।
कहा कि सरकार को वादे के अनुरूप गौ व गंगा की रक्षा के लिए सार्थक कदम उठाने चाहिए, जिसका परिणाम जल्द नजर आए। गोपालजी महाराज, स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्माचारी, घनश्यामाचार्य व देवानंद सरस्वती ने देश में चल रहे स्लाटर हाउसों को तत्काल बंद करने की मांग की। स्वामी हरिश्वरानंद, स्वामी विमलदेव आश्रम, स्वामी ब्रह्माश्रम ने बढ़ते आतंकवाद पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके पीछे युवाओं का धर्म से दूर होना बताया। उन्होंने मठ मंदिरों से सरकारी कब्जा हटाने को लेकर अभियान चलाने पर जोर दिया। संयोजन कर रहे जगद्गुरु स्वामी महेशाश्रम ने आतंकवाद, गंगा प्रदूषण व गौ हत्या को खत्म करने के लिए सार्थक पहल न होने पर चिंता व्यक्त की। संचालन चंद्रदेव मिश्र ने किया। धर्म संसद में स्वामी शंकराश्रम, चंद्रभूषणाचार्य, प्रकाशाश्रम, राजेशाश्रम सहित सैकड़ों कल्पवासी मौजूद रहे।
-------
यह प्रस्ताव हुए पारित
-गंगा को बांधमुक्त किया जाए।
-पूरे देश में गौहत्या पर पाबंदी लगे।
-सनातन परंपरा पर हस्तक्षेप बंद हो।
-विद्यालयों में रामायण, महाभारत, गीता की पढ़ाई शुरू कराई जाए।
-मठ-मंदिरों से सरकारी हस्तक्षेप खत्म हो।
-आतंकवाद के खात्मे को सरकार उठाए कड़ा कदम।