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संगम नगरी में खूब चला है रवींद्र के सुरों का जादू

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : संगम नगरी में 'नदिया के पार' फिल्म का सिल्वर जुबली कार्यक्रम रहा हो या फ

By Edited By: Published: Sat, 10 Oct 2015 01:02 AM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2015 01:02 AM (IST)
संगम नगरी में खूब चला है रवींद्र के सुरों का जादू

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : संगम नगरी में 'नदिया के पार' फिल्म का सिल्वर जुबली कार्यक्रम रहा हो या फिर पथरचंट्टी रामलीला के मंचन का। संगीत की दुनिया के जादूगर रवींद्र जैन हर मौके पर संगम नगरी के लोगों के साथ खड़े मिलते। उनके निधन का समाचार मिलते ही साहित्य और संगीत की दुनिया में मातम छा गया। कइयों ने उनसे जुड़े संस्मरण को दोहराया। उनके साथ बिताए पलों को याद कर उनकी आंखें नम हो गई।

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भजन गायक मनोज गुप्त कहते हैं 'अभी दस दिन पहले ही तो मेरी दादू (प्रख्यात भजन गायक रवींद्र जैन) से बात हुई थी। उन्होंने दशहरा पर इलाहाबाद आने का वादा किया था। वह भरवारी में रामलीला मैदान में आयोजित समारोह में शामिल होने वाले थे। मैं तैयारी में जुटा था। फिर अचानक दादू के दुनिया से जाने का संदेश आ गया। अब क्या करूं .. समझ नहीं पा रहा'। यह कहते-कहते उनकी आंखें नम हो जाती हैं। बताते हैं, वह प्रख्यात गायक रवींद्र जैन के निधन से स्वयं को अकेला महसूस कर रहे हैं। दादू को लोकनाथ का समोसा व नमकीन काफी पसंद थी। जब भी मुंबई जाता, दोनों चीजें उनके लिए खासतौर पर ले जाता।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में संगीत के विभागाध्यक्ष प्रो. पं. साहित्य नाहर कहते हैं रवींद्र जैन से उनकी पहली मुलाकात मुंबई में 1981 में हुई, जबकि अंतिम बार जनवरी 2015 में मिला। हां, मोबाइल पर अक्सर उनसे बातें होती थी, वह कहते थे कि संगीत हृदय स्पर्शी होना चाहिए। नाहर जी युवाओं को शास्त्रीय संगीत से जोड़कर आगे बढ़ाएं'। गजल गायक आशुतोष श्रीवास्तव रवींद्र जैन के निधन से स्तब्ध हैं। कहते हैं मथुरा महोत्सव में उनसे मेरी मुलाकात हुई थी, उन्होंने मुझे 'तेरा मेरा साथ रहे' सुनाकर मुझसे मधुशाला की पंक्तियां सुनीं, और पूरी लगन से गायन करने की सीख दी।

सस्वर नहीं सुनाई देंगी आयतें

इलाहाबाद : रवींद्र जैन के करीबियों में शुमार कारोबारी अशोक जैन भी उनके निधन से आहत हैं। रवींद्र जैन को ¨हदू व मुस्लिम एकता का पर्याय बताते हुए कहते हैं कि वह रामायण की तर्ज पर कुरान की आयतों को स्वर दे रहे थे। इस दिशा में काफी काम हो चुका था, लेकिन अचानक उनका निधन होने पर वह काम ठप हो जाएगा। इससे लोग आयतों को सस्वर नहीं सुन पाएंगे। कहा कि यहां आने पर वह बड़े हनुमान मंदिर व संगम क्षेत्र जरूर जाते थे। वह कहते थे कि यहां आने पर उन्हें आंतरिक ऊर्जा मिलती है।

निधन पर जताया शोक

इलाहाबाद : रवींद्र जैन के निधन पर श्रीपथरचट्टी रामलीला कमेटी की शोकसभा कार्यकारी अध्यक्ष मुकेश पाठक की अध्यक्षता में हुई। प्रवक्ता लल्लूलाल गुप्त 'सौरभ' ने कहा कि रवींद्र जैन भारतीय संगीत एवं संस्कृति के पोषक थे। हमारी कमेटी से उनका विशेष स्नेह था। इस दौरान महामंत्री आनंद सिंह, सुरेशचंद्र अग्रवाल, गिरधारी लाल अग्रवाल, धर्मेद्र कुमार, विजय वैश्य मौजूद थे। वहीं प्रयाग संगीत समिति की शोकसभा सचिव अरुण कुमार की अध्यक्षता में हुई। कहा कि रवींद्र जैन ने प्रयाग संगीत समिति से प्रभाकर किया था। वह इलाहाबाद आने पर यहां जरूर आते थे।


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