विरोध की राह पर शिक्षक, इविवि प्रशासन मौन
जासं, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षकों की अर्हता तिथि के अनुरूप पदनाम व वेतमान का मसला
जासं, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षकों की अर्हता तिथि के अनुरूप पदनाम व वेतमान का मसला उलझता नजर आ रहा है। शिक्षक हक के लिए जहां विरोध का स्वर बुलंद करने की तैयारी में हैं। वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन पूरे मामले पर मौन धारण किए है। ऐसे में मामला उलझता जा रहा है। यदि यही स्थिति रही तो पांच सितंबर के बाद विश्वविद्यालय में पठन-पाठन ठप हो सकता है, अबकी शिक्षक आश्वासन मात्र से ही मानने वाले नहीं हैं।
विश्वविद्यालय में सौ से अधिक शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें अर्हता तिथि से पदनाम और वेतनमान नहीं मिल रहा है। इसको लेकर कई बार आंदोलित भी हो चुके हैं। बावजूद इसके मामले का निस्तारण नहीं हुआ। कुछ माह पहले दो दर्जन से ज्यादा शिक्षकों को इसका लाभ दे दिया गया तो वंचित शिक्षकों ने 10 अगस्त से हड़ताल पर जाने की तैयारी कर ली। जिस पर नौ अगस्त को मसला सुलझाने के लिए प्रो. प्रदीप भार्गव कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रत्येक शिक्षक को सात दिन के भीतर उसकी अर्हता से संबंधित पत्र जारी किया जाएगा। लेकिन वह सात दिन अभी तक पूरा नहीं हुआ और मामला अधर में लटका पड़ा है। नाराज शिक्षक उक्त मामले में कुलपति प्रो. ए. सत्यनारायण से अपनी शिकायत भी दर्ज करा चुके है। संयुक्त रजिस्ट्रार ने कुलपति के पूछने पर यह बताया है कि कई शिक्षकों की नियुक्ति और प्रोन्नति के दस्तावेज ही नहीं मिल रहे हैं। इस पर कुलपति ने नाराजगी भी प्रकट की है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (आटा) के संयुक्त सचिव सूर्यनारायण का कहना है कि हमने विश्वविद्यालय प्रशासन को अर्हता तिथि का आदेश जारी करने के लिए पांच सितंबर तक का समय दिया है। निर्धारित तिथि में मांग पूरी न होने पर कुलपति कार्यालय पर शिक्षक समुदाय धरना शुरू कर देगा। इस मामले में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो.बीपी सिंह और संबंधित अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।