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याद किए गए ¨हदी के पुरोधा राजर्षि टंडन

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : ¨हदी के उत्थान के लिए भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन ने जो नींव रख

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 01:41 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 01:41 AM (IST)
याद किए गए ¨हदी के पुरोधा राजर्षि टंडन

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : ¨हदी के उत्थान के लिए भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन ने जो नींव रखी, उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। ¨हदी को बोलचाल के साथ प्रयोग में लाने का प्रयास होना चाहिए। हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं खत्री सभा द्वारा शनिवार को भारतरत्‍‌न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की 134वीं जयंती समारोह की अध्यक्षता कर रहे आचार्य राधा गोविंद थोंडांम ने उक्त बातें कहीं।

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सम्मेलन के संग्रहालय में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि अब उस विचारधारा के व्यक्ति धीरे-धीरे कम हो जा रहे हैं, जिसके कारण निर्णय के तहत क्षमता लेने की शक्ति हममें नहीं है। विशिष्ट अतिथि डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह गौर ने ¨हदी की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राजनेताओं की अनदेखी से ¨हदी का स्तर गिरा है। डॉ. रामकिशोर वर्मा ने मध्य वर्ग की मानसिकता से ¨हदी का उद्धार न होने की बात कही। संयोजन प्रधानमंत्री विभूति मिश्र और संचालन श्यामकृष्ण पांडेय ने किया। नरेंद्रदेव पांडेय, रामनरेश तिवारी पिंडीवासा, नंदल हितैषी, डॉ. पृथ्वीनाथ पांडेय, हरिनारायण दुबे ने भी विचार रखे।

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि एवं नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय में राजर्षि टंडन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद किया। मुक्त विवि के कुलपति प्रो. एमपी दुबे ने कहा कि टंडन जी ने देश को एक नई दिशा दी है। राजर्षि एकमात्र ऐसे शख्सियत थे, जिनकी कही बातों से लोकतंत्र में मजबूती आई थी। कहा कि मौजूदा दौर में टंडन जी जैसे महापुरुषों की जरूरत है। विवि का सौभाग्य है कि उसका नाम राजर्षि से जुड़ा है। उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, जब हम उनके सद्गुणों एवं आदर्शो को अपने जीवन में उतारें। यहां प्रो. एसपी गुप्ता, डा. आरपीएस यादव, डा. गिरीश कुमार द्विवेदी व डा. हरीश जायसवाल ने उन्हें याद किया। उधर, नेहरू ग्राम भारती के कुलाधिपति जेएन मिश्र ने कहा कि ¨हदी को राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करवाने के लिए राजर्षि का योगदान अविस्मरणीय है। वह ¨हदी में भारत की मिट्टी की सुगंध महसूस करते थे। उन्हीं के प्रयास से काशी नागरी प्रचारिणी सभा, ¨हदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, ¨हदी विद्यापीठ और ¨हदी रक्षक दल जैसी ¨हदी सेवी संस्थाओं की नींव पड़ी।

पत्रकारिता एवं जनसंचार के विभाग के अध्यक्ष डा. हिमांशु शेखर सिंह ने कहा कि ¨हदी का पुरजोर समर्थन करने के कारण टंडन जी पर अक्सर ¨हदी का अंधभक्त होने और दूसरी भाषाओं को नजरंदाज करने का भी आरोप लगता रहा, लेकिन उन्होंने कभी इसकी परवाह नहीं की। यहां डा. संतोष कुमार सिंह, डा. सीएम गौतम, पंकज यादव, अनिमेश मिश्र, संजीव कुमार मिश्र, समीरा खान आदि मौजूद थे।


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