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मनोज ने स्मृति के आगे फैलाए हाथ

इलाहाबाद : अमेठी और आसपास के बाजारों में सब्जी बेचकर घर चलाने वाले शीतलदीन छह महीने से बिस्तर पर पड़े

By Edited By: Published: Fri, 03 Jul 2015 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2015 01:00 AM (IST)
मनोज ने स्मृति के आगे फैलाए हाथ

इलाहाबाद : अमेठी और आसपास के बाजारों में सब्जी बेचकर घर चलाने वाले शीतलदीन छह महीने से बिस्तर पर पड़े हैं। डाक्टरों ने साफ कह दिया है कि वह चल-फिर नहीं पाएंगे, क्योंकि बाजार से लौटते समय सड़क हादसे में उनका पैर टूट गया था और धनाभाव के कारण वे इलाज नहीं करा पाए। इस हादसे में जीवन भर की विकलांगता उनके गले पड़ गई। यह शीतलदीन कोई और नहीं आइआइटी कानपुर के लिए चयनित गुदड़ी के लाल मनोज कुमार पटेल के बाबा हैं।

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अमेठी संसदीय क्षेत्र के महेशपुर पोस्ट परशदेपुर, सलोन जनपद रायबरेली निवासी हीरालाल पटेल किसानी करते हैं। उनका परिवार बीपीएल श्रेणी में दर्ज है। इन्हीं के बेटे मनोज कुमार पटेल ने आइआइटी कानपुर के लिए ज्वाइंट एडमिशन इन एमएससी (जैम) की परीक्षा पास की है। बाबा की दर्द भरी दास्तां बताते हुए मनोज की आंखें गीली हो गई। फफक कर बोले, कामयाबी पर मैं खुश जरूर हूं, लेकिन डरता हूं कि कहीं गरीबी बाबा की तरह उसकी जिंदगी में भी विकलांगता न घोल दे। अभी यह विश्वास नहीं हो पा रहा है कि मैं आइआइटी कानपुर से एमएससी कर पाऊंगा, क्योंकि फीस चुकाने के लिए पैसे ही नहीं हैं। मनोज ने बताया कि उसके पिता के पास इतना धन नहीं है कि वह उसकी पढ़ाई का खर्च चला सके। मनोज इलाहाबाद में रहने व खाने का प्रबंध ट्यूशन पढ़ाकर करते हैं, जबकि फीस उसके मामा अमरजीत पटेल देते हैं।

मनोज ने यह भी बताया कि दिसंबर 2014 में हुई सीएसआइआर की नेट परीक्षा को भी उसने पास किया है। अमूमन एमएससी प्रथम वर्ष में ही नेट पास करना आसान नहीं होता। फिर भी मेधा के दम पर मनोज ने इसे कर दिखाया। मुफलिसी उनके रास्ते का रोड़ा न बन जाए इसके लिए मनोज ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र भेजा है कि आइआइटी कानपुर के लिए उसकी फीस का प्रबंध सरकार कर दे, वरना वह पढ़ाई नहीं कर पाएगा।


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