भ्रष्टाचार रोकने में पुरुषों से आगे महिलाएं
जासं, इलाहाबाद : समाज में इन दिनों भ्रष्टाचार प्रमुख समस्या है। 50 फीसद पुरुष भ्रष्टाचार में लिप्त ह
जासं, इलाहाबाद : समाज में इन दिनों भ्रष्टाचार प्रमुख समस्या है। 50 फीसद पुरुष भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तो महिलाओं का प्रतिशत 10 से भी कम हैं। महिलाएं अपने कार्य को भी बेहतर तरीके से अंजाम देती हैं। गंभीरता में भी उनका कोई सानी नहीं है। यह बात प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक ने गुरुवार को यहां उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में 'महिलाओं द्वारा मानवाधिकार के लिए सामाजिक संघर्ष, महिला सशक्तीकरण चुनौतियां एवं संभावनाएं' विषयक दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन में कही। राज्यपाल ने कहा कि इस वर्ष प्रदेश के सभी 22 विश्वविद्यालयों में पहली बार दीक्षांत समारोह आयोजित हुए जिसमें करीब साठ फीसद पदक युवतियों ने झटके और चालीस फीसद युवकों को मिले। कहा कि महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण दिलाने की उनकी बेहद इच्छा रही है, प्रस्ताव भी दिया, लेकिन अभी प्रकरण लंबित है। महिलाओं को अधिकार नहीं छोड़ना चाहिए। महिला सशक्तीकरण के लिए देश में जनांदोलन की आवश्यकता है। इससे सारे समाज का लाभ होगा। उन्होंने हिदायत दी कि मानवाधिकार आयोग को भी सतर्कता के साथ काम करने की जरूरत है, किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायमूर्ति सखा राम सिंह ने कहा कि महिलाओं को अपनी छिपी शक्ति को जाग्रत करना होगा। उसकी अभिव्यक्ति भी आवश्यक है। महिलाएं आज खुद में व्याप्त दैवी शक्ति को भूल गई हैं। वह केवल विज्ञापन की वस्तु न बनें और भारतीय लिबास पहनें। पुरुषों के लिबास उन्हें शोभा नहीं देते। बोले, महिलाओं का सशक्तीकरण तभी होगा जब वे अपनी शक्ति पहचानें। केवल कानून से ही उनकी समस्या हल नहीं होगी।
मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमपी दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय में स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत प्रशासन कक्ष का निर्माण शुरू हो चुका है और तीन महीने में पूरा होगा। दुबे ने कहा कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। समाज में सभी को ऐसे कार्य करने चाहिए ताकि महिलाओं का मान एवं सम्मान बढ़े। संगोष्ठी का शुभारंभ वंदेमातरम व सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। स्वागत समन्वयक प्रो. एमएन सिंह ने, आयोजन की जानकारी इति तिवारी ने व संचालन डा. हरिश्चंद्र जायसवाल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन धर्मेद्र प्रकाश त्रिपाठी ने किया। यहां पर पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह गौर, महात्मा गांधी काशी विद्या पीठ वाराणसी के कुलपति प्रो. पृथ्वीश नाग, जौनपुर के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल, इविवि के पूर्व कुलपति प्रो. आरपी मिश्र, डा. आकाश के ओची, इविवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. हरीशंकर उपाध्याय, प्रो. एसपी गुप्ता, आरपी यादव आदि थे।
-------------
पुस्तिका का किया विमोचन
इलाहाबाद : राज्यपाल ने शोध पत्र संक्षिप्तिका एवं विश्वविद्यालय की उपलब्धियों व गतिविधियों से संबंधित पुस्तिका का विमोचन किया। सेमिनार में 102 प्रतिभागियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। जापान के डा. आकाश के ओची ने अपनी पुस्तक सभी को भेंट की। राज्यपाल ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत फाफामऊ में स्थित प्रशासनिक भवन में अत्याधुनिक प्रसाधन कक्ष की आधारशिला भी रखी। शैक्षिक परिसर में चरखा प्रयोगशाला का उद्घाटन व गांधी कक्ष का लोकार्पण किया। तिलक शास्त्रार्थ सभागार का नामकरण किया। कुलपति प्रो. दुबे ने राज्यपाल नाईक एवं विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति यादव को अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।
----------
राजीव गांधी को किया नमन
इलाहाबाद : राज्यपाल रामनाईक ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर उनकी शहादत को याद करते नमन किया। बोले, आतंकवाद की विभीषिका ने उन्हें हम लोगों से छीन लिया। नाईक ने कहा कि गांधी परिवार ने देश को बहुत कुछ दिया है। शायद देश व दुनिया में कोई दूसरा उदाहरण नहीं होगा जिसमें देश के लिए मा-बेटे का बलिदान हुआ हो।
----------
घर में महिलाओं का वर्चस्व
इलाहाबाद : राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि उनके घर में महिलाओं का वर्चस्व है पत्नी व दो बेटियों के साथ रहने में उन्हें कई अच्छे अनुभव भी हुए। इसीलिए ट्रेनों में महिलाओं के लिए अगल से डिब्बे लगवाए। उन्होंने यह भी कहा कि ताज्जुब यह है कि देश में टयलेट पर भी खबर बनती है। मेरा सवाल है कि आखिर इसकी जरूरत किसे नहीं है। जब वह पहली बार विधायक बने थे तब दो मंजिला शौचालय का प्रस्ताव दिया और उसे बनवाया था। जो उस समय आश्चर्य का विषय था।
----------
महिलाओं की कमी पर कसा तंज
इलाहाबाद : महिलाओं की राष्ट्रीय संगोष्ठी में महिलाओं की ही संख्या गिनी चुनी थी। यह देखकर राज्यपाल नाईक ने तंज कसते हुए कहा कि कम से कम ऐसे आयोजनों में तो उन्हें बुलाया ही जाना चाहिए। सारे पुरुषों के ही यहां बैठे रहने से काम नहीं चलेगा। इन्हीं आयोजनों से महिलाओं में अच्छा करने की प्रेरणा जगेगी।