आतंकी ने भी लगाई थी इविवि की फर्जी डिग्री
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इधर बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियां मिली हैं।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इधर बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियां मिली हैं। बीते एक जुलाई 2014 से 30 अप्रैल 2015 तक 129 डिग्रियां यहां जांच में फर्जी मिल चुकी हैं। इसके अलावा कई विख्यात एवं कुख्यात लोगों ने भी इलाहाबाद विवि की फर्जी डिग्रियों का प्रयोग किया है। इनमें 13 सितंबर 2008 को दिल्ली के सीरियल बम विस्फोट के आरोपी अंसारुल हस्सान ने भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री लगाई थी। दरअसल आतंकी ने जामिया मिलिया में स्नातक में प्रवेश के लिए पहले प्रवेश परीक्षा दी उसमें सफलता न मिलने पर कंप्यूटर स्पीकिंग का कोर्स करने लगा। इसी दौरान विशेष दस्ते ने उसे पकड़ा था। विवि के डिप्टी रजिस्ट्रार रामबाबू ने यह सूचना पुलिस के पत्र के जवाब में दिया था।
इसके अलावा पिछले साल आंध्र प्रदेश में पुलिस, पीएससी की भर्ती के दौरान जांच के लिए डिग्रियां आई थी, उनमें से करीब आधा दर्जन डिग्रियां फर्जी पाई गई थीं। ऐसे ही कुछ महीने पहले शियाट्स में शिक्षक पद पर नौकरी के लिए गए बीएससी व एमएससी प्रथम श्रेणी में पास करने वाले युवक ने डीफिल की फर्जी डिग्री लगा दी थी। बताते हैं कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों का सबसे अधिक उपयोग सरकारी सेक्टर के बजाए विदेश की बहुराष्ट्रीय कंपनियों में हो रहा है। वहां पर लोग इस चर्चित विश्वविद्यालय की डिग्री इस उम्मीद में लगा देते हैं कि इससे उनकी धाक जमेगी और वह पकड़ में भी नहीं आएंगे, लेकिन ज्यादातर कंपनियों ने अभिलेखों की जांच कराई तो कलई खुल गई। पिछले पांच साल में करीब छह सौ से अधिक डिग्रियां जांच में फर्जी पाई गई हैं।
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'जितनी भी डिग्रियां इन दिनों जांच के लिए आ रही हैं, उनमें से करीब दस फीसदी फर्जी मिल रही हैं। इस संबंध में डीएम व एसएसपी को पत्र भी लिखा गया है कि वह फर्जी डिग्री लगाने वालों पर मुकदमा लिखकर कठोर कार्रवाई करें, ताकि दूसरा ऐसा करने की हिम्मत न जुटा सकें।'
प्रो. एचएस उपाध्याय परीक्षा नियंत्रक