संवैधानिक लोकतंत्र की विफलता था हाशिमपुरा जनसंहार
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : मेरठ में 1987 में हुआ हाशिमपुरा जनसंहार संवैधानिक लोकतंत्र की विफलता का
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : मेरठ में 1987 में हुआ हाशिमपुरा जनसंहार संवैधानिक लोकतंत्र की विफलता का परिणाम था। उस दौरान द¨रदगी की जो तस्वीर सामने आई थी, उसे शब्दों में बयान करना मुमकिन नहीं है। पूर्व आइपीएस अधिकारी और लेखक वीएन राय का कुछ ऐसा ही कहना है। वह गुरुवार को ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआइडीएफ) तत्वावधान में आयोजित संवैधानिक लोकतंत्र की असफलता विषयक गोष्ठी में अपने अनुभव साझा कर रहे थे।
नूरुल्ला रोड स्थित एक गेस्ट हाउस में आयोजित गोष्ठी में बुद्धिजीवियों का जमावड़ा लगा। इस दौरान हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति जनार्दन सहाय ने कहा कि ऐसी स्थितियों में भी निराश होने की जरूरत नहीं है। मानवाधिकार संगठन तथा जनांदोलन की शक्तियों को संगठित होकर अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए, ताकि व्यवस्था को मजबूर होकर हाशिमपुरा जनसंहार के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़े। सेमिनार के बाद हाशिमपुरा मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कमेटी बनाकर नए सिरे से जांच करने समेत तीन सूत्रीय प्रस्ताव पारित किए गए। प्रस्ताव पत्र प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष संतोष भदौरिया ने पढ़ा। इस दौरान प्रो. अली अहमद फातमी, डॉ. प्रणय कृष्ण, लाल बहादुर वर्मा, असरार गांधी, संध्या नवोदिता आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।