बढ़ेगी 'मोक्षदायिनी' की निगरानी
जासं, इलाहाबाद : अब संगम नगरी में 'मोक्षदायिनी' की निगरानी बढ़ाई जाएगी। यह संभव होगा गंगा वाहिनी के
जासं, इलाहाबाद : अब संगम नगरी में 'मोक्षदायिनी' की निगरानी बढ़ाई जाएगी। यह संभव होगा गंगा वाहिनी के गठन से। गंगा वाहिनी गंगा में मूर्तियों के विसर्जन, पॉलीथिन के प्रयोग पर रोक लगाने संग आसपास पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगाने में हर स्तर पर मदद करेगी।
वैसे तो मोक्षदायिनी को अविरल और निर्मल बनाने में सभी की सहभागिता जरूरी है। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इसकी जिम्मेदारी नगर निगमों की होती है। निगमों पर ही गंगा की रक्षा और सुरक्षा के लिए बेहतर योजनाएं बनाने के साथ लोगों में जागरूकता फैलाने का भी दायित्व होता है। लेकिन लंबे समय से व्यापक स्तर पर ऐसा नहीं हो पा रहा था। 14 दिसंबर 2014 को प्रयाग दौरे पर आई केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि मोक्षदायिनी की निगरानी के लिए गंगा वाहिनी का गठन किया जाएगा। यह वाहिनी गंगा के निर्मलीकरण में मदद संग कम से कम दस वर्षो तक पेड़-पौधों को कटने, मूर्तियों का विसर्जन और पॉलीथिन के प्रयोग पर रोक लगाने का काम करेगी। उन्होंने ईको टॉस्क फोर्स का गठन करने के लिए भी कहा था। इसका मुखिया कर्नल स्तर के एक अधिकारी को बनाने संग एक बटालियन की तैनाती प्रयाग में भी करने के लिए कहा था। जो तटों पर पौधरोपण संग प्रदूषण निवारण का काम करेगी। फैक्ट्रियों पर भी वह निगरानी रखेगी। इस दिशा में सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए गंगा वाहिनी के गठन के लिए 75 करोड़ रुपये का प्रावधान भी कर दिया है। इस संबंध में सभी नगर निगमों को पत्र जारी किया जा चुका है। हालांकि, गाइड लाइन जारी होने का इंतजार किया जा रहा है।
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गंगा वाहिनी के गठन के लिए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय ने एक लेटर भेजा है। लेकिन अभी गाइड लाइन नहीं आई है। गाइड लाइन जारी होते ही गंगा वाहिनी के गठन के लिए कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
-संजीव प्रधान, पर्यावरण अभियंता नगर निगम।