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बदरंग दीवारें बयां कर रहीं अपना दर्द..

जासं, इलाहाबाद : पूरा विश्व 18 अप्रैल 1982 को व‌र्ल्ड हेरिटेज डे मनाने जा रहा है। विडंबना यह है कि प

By Edited By: Published: Sat, 18 Apr 2015 12:54 AM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2015 12:54 AM (IST)
बदरंग दीवारें बयां कर रहीं अपना दर्द..

जासं, इलाहाबाद : पूरा विश्व 18 अप्रैल 1982 को व‌र्ल्ड हेरिटेज डे मनाने जा रहा है। विडंबना यह है कि प्राकृतिक व सांस्कृतिक सपंदाओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया दिवस महज औपचारिक रह गया है। इस ऐतिहासिक दिवस के एक दिन पहले हेरिटेज भवनों की श्रृंखला में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक विजयनगरम हॉल का जिक्र न आए, ऐसा कैसे हो सकता है।

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इस ऐतिहासिक हाल की टूटी हुई खिड़कियां, गुंबदों पर उगी लंबी घास, शीशों पर जमीं धूल, उखड़े प्लास्टरों वाली बदरंग दीवारें बहुत कुछ कह रही हैं। कहा जाता है कि जिस देश की संस्कृति सुरक्षित नहीं, उस देश का पतन निश्चित है। संस्कृति देश की पहचान होती है। पुरातात्विक धरोहर घोषित यह इमारत इलाहाबाद विश्वविद्यालय ही नहीं प्रयाग की भी पहचान है। इसके बाद भी बेहाल है।

विजयनगरम हॉल का वर्ष 1887 ई ़ में वायसराय लार्ड डार्फिन ने उद्घाटन किया था। मुगल गोथिक और अरबी शैली के मिश्रण से निर्मित यह इमारत ऐतिहासिक शिल्प नमूनों के लिए प्रसिद्व है। इसे प्रख्यात ब्रिटिश वास्तुकार सर विलियम इमर्सन ने बनाया था। इमर्सन कोलकाता स्थित विक्टोरिया मेमोरियल की इमारत में अपना हुनर पहले से दिखा चुके थे। इसके बाद उन्हें विजयनगरम हॉल के निर्माण का कार्य सौंपा गया था। हॉल में एक दाइलों गुबंद, छत पर गुलाब पखुंडि़यों की बनी आकृति, खिड़कियों में लगे नक्काशेदार शीशे, सजावटी मेहराब, कॉलम, मोजेक फर्श उनके शिल्प कौशल का अद्भुत नमूना है।

यह खूबसूरत ऐतिहासिक धरोहर आज उपेक्षा का दंश झेल रही है। समय रहते न चेता गया तो वह दिन दूर नहीं जब विजयनगरम हॉल की सिर्फ यादें रह जायेंगी। अगर विजयनगरम हॉल बोल सकता तो कुछ ऐसा ही बोलता-

जो संभाल न सके अपनी विरासत को

वे क्या संभालेगें अपने आपको ।

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पांच साल बीते, शुरू भी नहीं हुआ काम

इलाहाबाद विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा मिलने के बाद हॉल के संरक्षण के लिए तमाम योजनाएं बनी थीं। विश्वविद्यालय प्रशासन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से एक टीम का गठन किया गया। 2009-10 में राइटस लिमिटेड (रेल मंत्रालय से जुड़ी कम्पनी) को हॉल के मूल स्वरूप के पुनरुद्धार का दायित्व सौंपा गया था। इस कार्य के लिए तीन साल का समय दिया गया था। इस परियोजना खाका खींचे पांच साल हो गये, पर अभी काम के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ।

आठ लाख में निर्माण आठ करोड़ में पुनरुद्धार

विजयनगरम हॉल के निर्माण में आठ लाख रुपये लगे थे, जबकि आज इसके पुनरुद्धार में लगभग आठ करोड़ रूपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है।

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विजयनगरम हॉल के मूलस्वरूप को लाने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन प्रयासरत है। विरासत को बचाने के लिए राइटस लिमिटेड को जिम्मेदारी सौपी गयी है।

नवीन सिंह

अभियंता

इलाहाबाद विश्वविद्यालय

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व‌र्ल्ड हेरिटेज डे का इतिहास और प्रमुख तत्व

18 अप्रैल 1982 को व‌र्ल्ड हेरिटेज डे मनाने की शुरूआत हुई थी। प्राकृतिक व सांस्कृतिक सपंदाओं को संरक्षित करने के लिए इंटरनेशनल कांउसिल ऑन मोन्यूमेंटस ऐंड साइटस (इकोमांस) ने टूयूनीशिया में इंटरनेशनल डे फॉर मोन्यूमेंट ऐंड साइट की शुरुआत करवाई थी। नवंबर 1983 में यूनेस्को के 22वें सत्र में इसका अनुमोदन किया गया। यूनेस्को द्वारा तीन कैटगरी प्राकृतिक,सांस्कृतिक और मिश्रण में हेरिजेट साइट्स को मान्यता प्रदान की जाती है। पूरे विश्व में 1007 परिसंपत्तियों को व‌र्ल्ड हेरिटेज घोषित किया गया। भारत में 32 व‌र्ल्ड हेरिटेज साइट्स है। इसमें 25 सांस्कृतिक और सात प्राकृतिक साइटस है।

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व‌र्ल्ड हेरिटेज डे कैसे मनाएं

़़़़़़ अपने आस-पास किसी पुरातत्व स्थल या भवन पर बच्चों को घुमाने ले जाएं।

़़़ अपने बच्चों को इतिहास के बारे में बताएं।

़़़़ पुरातत्व भवन को विरासत के रूप में समझें।

़़ पुरातत्व स्थल या भवन के आस-पास गंदगी न फैलाएं।

़़़ अपनी संस्कृति सभ्यता के प्रति

लोगों को जागरूक करें।


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