फूहड़ गानों का करें बहिष्कार : महादेवन
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : गाने पहले भी अच्छे बनते थे और आज भी। आज से कुछ दशक पहले टीवी व रेडियो चै
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : गाने पहले भी अच्छे बनते थे और आज भी। आज से कुछ दशक पहले टीवी व रेडियो चैनलों का अभाव था, इससे खराब गाने लोगों तक पहुंच नहीं पाते थे। जबकि अच्छे गाने घर-घर सुने जाते थे। यह कहना है प्रख्यात पाश्र्र्व गायक शंकर महादेवन का। श्रीराम राज्याभिषेक समारोह में शिरकत करने इलाहाबाद आए महादेवन मानते हैं कि आज फूहड़ गानों की भरमार है, जिसे परिवार के साथ नहीं सुन सकते। ऐसे गानों का बहिष्कार होना चाहिए। शास्त्रीय संगीत की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दुर्भाग्यवश ¨हदी चैनल उसका महत्व नहीं समझते। इससे ¨हदी भाषी क्षेत्रों में शास्त्रीय संगीत उपेक्षित है। परंतु दक्षिण भारत में शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने का बराबर प्रयास होता है। इसके लिए बकायदा बच्चों व युवाओं के लिए टीवी चैनलों में रियलिटी शो कराए जाते हैं। वह स्वयं अपने गानों में शास्त्रीय संगीत का अंश डालते हैं, जिसे लोग खूब पसंद करते हैं।
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47 देशों में कर रहे प्रचार
शंकर महादेवन कहते हैं कि शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने शंकर महादेवन नाम से ऑनलाइन एकेडमी बनाई है। इसके जरिए वह विश्व के 47 देशों में शास्त्रीय संगीत का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इसके प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है।
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प्रतिभाशाली हैं आज के बच्चे
टीवी चैनलों में होने वाले रियलिटी शो को शंकर महादेवन समय की मांग बताते हैं। वह कहते हैं ऐसे आयोजनों से प्रतिभाओं को मंच मिलता है। इसमें सफल होने के बाद वे नाम, पैसा कमाते हैं। यह जरूरी नहीं है कि वह फिल्मों में ही गाएं। रियलिटी शो में सफल होने के बाद उन्हें पैसा कमाने के मौके स्वत: मिल जाते हैं।