खतरे में खाकी, इकबाल पर सवाल
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : कौशांबी के पश्चिम शरीरा इलाके में शनिवार को दारोगा नयन सिंह पर हुए हमले
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : कौशांबी के पश्चिम शरीरा इलाके में शनिवार को दारोगा नयन सिंह पर हुए हमले ने पुलिस महकमे को चिंता में डाल दिया है। अब खाकी पहनने वाले खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यह हालात दो दशकों में बने हैं। एक दौर था जब बड़े से बड़ा बदमाश भी पुलिस पर हाथ डालने से कतराता था। पुलिस के इकबाल के आगे माफिया भी नतमस्तक रहते थे। कम से कम सूबे में तो 'खाकी' से टकराने की हिम्मत 'खादी' के वरदहस्त भी नहीं जुटा पाते थे। पुलिस का यह तिलस्म संगमनगरी में टूटा तीन सितंबर 1994 को, जब कीडगंज थाने के उपनिरीक्षक वीरेंद्र सिंह की वाहन चेकिंग के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद तो जैसे खाकी खतरे में ही पड़ गई। पुलिस पर हमले रोज की बात बन गए।
उत्तर प्रदेश में पुलिस टीम पर दुस्साहसिक हमला राजधानी लखनऊ में 12 नवंबर 1992 को हजरतगंज इलाके में हुआ था। यूपी पुलिस के लिए चुनौती बने शातिर बदमाश श्रीप्रकाश शुक्ला ने एके-47 रायफल से गोलियां बरसाकर एक उपनिरीक्षक को छलनी कर दिया था। इस घटना के बाद पूरे प्रदेश की पुलिस श्रीप्रकाश की दुश्मन बन गई थी। खाकी ने बदला लिया मगर उसमें चार साल लग गए। इस बीच पुलिस पर हमले की दूसरी बड़ी वारदात संगमनगरी के सिविल लाइंस इलाके में हुई। यहां 22 जून 2005 को सुभाष चौराहे पर कांस्टेबल अशोक पांडेय की बम मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने अशोक के कातिलों में से एक को कुछ ही घंटों में घेरकर मार दिया था।
प्रतापगढ़ के कुंडा इलाके में दो मार्च 2013 को सीओ जियाउल हक की हत्या से एक बार फिर खाकी पर हमले की शुरुआत हुई। इसके बाद 14 जून 2013 को इलाहाबाद में बारा थानाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद द्विवेदी को दिनदहाड़े गोली से उड़ा दिया गया। इस घटना के महीने भर बाद ही नौ जुलाई 2013 को सीओ सिविल लाइंस सिराज अहमद से अभद्रता की गई। फिर दो महीनों के ही अंतराल में जुलाई 27 अगस्त को शिवकुटी के तत्कालीन थानाध्यक्ष वीके सिंह पर रिवाल्वर से फाय¨रग की गई थी। गनीमत थी कि वह उस हमले में बाल-बाल बच गए थे। हाल ही में 11 मार्च को कचहरी बवाल के दौरान सिपाही अजय नागर को गोली मार दी गई। उस घटना को अभी पुलिस महकमे के लोग भूल भी नहीं सके थे कि कौशांबी में दारोगा नयन सिंह हमलावरों का निशाना बन गए। रिटायर्ड डिप्टी एसपी पीएन सिंह इन घटनाओं को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि अगर ऐसी घटनाएं न रुकी तो एक दिन पुलिस को हथियार डालना पड़ जाएगा।