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'निष्काम भक्ति से पूर्ण होती है कामना'

जासं, इलाहाबाद : नवरात्र व्रत कर रहे भक्तों ने शुक्रवार को अष्टमी तिथि पर देवी स्वरूप कन्याओं का पूज

By Edited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 01:03 AM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 01:03 AM (IST)
'निष्काम भक्ति से पूर्ण होती है कामना'

जासं, इलाहाबाद : नवरात्र व्रत कर रहे भक्तों ने शुक्रवार को अष्टमी तिथि पर देवी स्वरूप कन्याओं का पूजन कर दान-पुण्य किया और हवन कर मां का आशीष लिया। अधिकतर भक्त शनिवार को नवमी तिथि पर कन्याओं का पूजन कर हवन करेंगे। व्रत का पारण रविवार को किया जाएगा। जनकल्याण के लिए कैवल्य धाम झूंसी में चल रहे शतचंडी यज्ञ की पूर्णाहुति शुक्रवार को हुई। टीकरमाफी आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्माचारी के नेतृत्व में संतों और भक्तों ने यज्ञकुंड में आहुतियां डालीं। उन्होंने भक्तों को निष्काम भाव से मां भगवती की स्तुति करने को प्रेरित किया। कहा कि ऐसा करने पर हर कामना स्वत: पूरी हो जाती है।

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कल करें व्रत का पारण

इलाहाबाद : नवरात्र व्रत का विधिवत पारण रविवार दशमी तिथि पर होगा। श्रीधर्मज्ञानोपदेश संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी का कहना है शनिवार की सुबह दस बजे तक साधक कन्या पूजन कर हवन कर सकते हैं। जबकि रविवार की सुबह 5.54 बजे सूर्योदय के साथ दशमी तिथि लग जाएगी। सुबह 8.46 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र सर्वार्थ सिद्धि योग और दशमी तिथि रहेगी। इसके अंदर पारण करना कल्याणकारी रहेगा।

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कन्या पूजन से आती है संपन्नता

नवरात्र व्रती और साधकों को कन्या पूजन अनिवार्य है, क्योंकि वह देवी का स्वरूप मानी जाती हैं। कन्या पूजन व दान के बिन उनका व्रत अधूरा रहता है। इसमें जो साधक व्रत नहीं रखते या पहली व अंतिम नवरात्र पर व्रत-पूजन करते हैं उन्हें भी कन्या का पूजन कर यथा संभव दान करना चाहिए। इससे उनके घर में संपन्नता आती है।

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ऐसे करें कन्या का पूजन

ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय बताते हैं नवरात्र में देवी के नौ स्वरूपों का प्रतीक नौ कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराना चाहिए। उनकी उम्र 12 वर्ष के अंदर होनी चाहिए। अगर नौ कन्याएं नहीं मिल रही हैं तो अपनी सुविधा अनुसार पूजन करना चाहिए।

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-कन्या को आसनी पर बैठाकर पांव धुलें और महावर लगाएं।

-मन में 'ऊं कुमार्यै नम:' का जाप करते हुए पुष्प देकर आरती उतारें।

-कन्या की पसंद के अनुरूप उनको भोजन कराएं।

-भोजन कराने के बाद यथा संभव दान देकर पांव छुएं।

-भोजन कराने के बाद कन्या को घर तक छोड़ने जाएं।

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कन्याभोज से मिलने वाला फल

-एक कन्या : ऐश्वर्य की प्राप्ति।

-दो कन्या : भोग-मोक्ष की प्राप्ति।

-तीन कन्या : धर्म, अर्थ और काम की प्राप्ति।

-चार कन्या : राज्यपद की प्राप्ति।

-पांच कन्या : विद्या की प्राप्ति

-छह कन्या : छह प्रकार की सिद्धि की प्राप्ति।

-सात कन्या : संपन्नता की प्राप्ति।

-आठ कन्या : हर तरह की संपदा की प्राप्ति।

-नौ कन्या : प्रभुत्व की प्राप्ति।

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कन्या के साथ करें बटुक पूजन

नवरात्र में कन्या के साथ बटुक पूजन का विधान है। बटुक भैरव का स्वरूप माने जाते हैं, जो मां भगवती के रक्षक होते हैं। इसके साथ नौ कन्याओं के साथ एक बटुक का पूजन भी किया जाता है, जो हर विपरीत परिस्थितियों में उनकी रक्षा करते हैं। कन्या के साथ अगर बटुक का पूजन कर दान न दिया जाए तो साधक को पूरा फल नहीं मिलता।


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