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अबकी भद्रा की छाया से मुक्त रहेगी होलिका

जासं, इलाहाबाद : फागुन मास की पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन के साथ रंगों के त्यौहार होली की धूम मचेगी।

By Edited By: Published: Thu, 05 Mar 2015 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2015 01:00 AM (IST)
अबकी भद्रा की छाया से मुक्त रहेगी होलिका

जासं, इलाहाबाद : फागुन मास की पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन के साथ रंगों के त्यौहार होली की धूम मचेगी। होलिका दहन से वातावरण में व्याप्त विकृतियां नष्ट होंगी। मान्यता है कि इसे तापने एवं दूसरे दिन राख को माथे पर लगाने से मन-मस्तिष्क पवित्र होता है। सबसे सुखद बात यह है कि इस बार होलिका दहन पर भद्रा की काली छाया नहीं रहेगी। गुरुवार की रात होलिका दहन के बादशुक्रवार को रंग पर्व मनाया जाएगा।

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श्रीधर्मज्ञानोपदेश संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि होलिका दहन सामाज एवं व्यक्ति के अंदर व्याप्त बुराइयों को समाप्त करने एवं विचारों का शुद्धिकरण करने का माध्यम है। बसंत पंचमी के दिन से अबीर-गुलाल के साथ प्रह्लाद की पूजा करके उनके नाम पर लकड़ी रखकर इसकी शुरुआत की जाती है। फागुन मास की पूर्णिमा को होलिका जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मनाया जाता है। होलिका दहन से पहले उसका पूजन अवश्य करना चाहिए, बिना उसके होली का महात्म्य समाप्त हो जाता है।

ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय कहते हैं कि होलिका जलाने से पहले स्नान करके शुद्ध श्वेत वस्त्र धारण करें, फिर हाथ में गंगा जल अथवा शुद्ध जल लेकर संकल्प करें। फिर 'मम स कुटुम्बस्य डुण्डा राक्षसी प्रीत्यर्थ तथा ग्रह पीड़ा परिहारर्थ होलिका पूजन महं मरिष्ये' एवं

अस्माधिर्भ भये सं त्रस्तै: कृता त्वं होलिके यत:।

अतस्त्वां पूजयिस्यामि भूते-भूतिप्रदाभौव श्री होलिकायै नम:।।

का जाप करते हुए होलिका का शोडषोपचार पूजन करें। फिर पूरब की ओर मुंह करके होलिका में जल, अक्षत, पुष्प, मिष्ठान, अबीर-गुलाल, मदार, पीपल, गुलर, कुशा, शमी, दूब, पलाश अर्पित करें। इसके बाद अगरबत्ती, धूपबत्ती व घी का दीपक जलाकर व्रतराज पुस्तक के डुंडा राक्षसी कथा का पाठ करके होलिका दहन करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

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रात 10.37 बजे के पहले करें होलिका दहन

वयोवृद्ध ज्योतिर्विद डॉ. जय नारायण मिश्र कहते हैं पांच मार्च की रात 10.37 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। इसके बाद चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिप्रदा लग जाएगी। होलिका दहन का विधान पूर्णिमा तिथि में है। इसके मद्देनजर तय समय के पहले होलिका दहन हो जाना चाहिए।


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