नैनी जेल के 31 बंदी मानसिक रोग के शिकार
जासं, इलाहाबाद : पिछले तीन दिनों से मानवाधिकार मामलों की सुनवाई कर रहे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के
जासं, इलाहाबाद : पिछले तीन दिनों से मानवाधिकार मामलों की सुनवाई कर रहे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य एससी सिन्हा ने खुलासा किया कि सेंट्रल जेल नैनी के 31 बंदी मानसिक रोग के शिकार हैं। यही नहीं जेल में बंदियों के इलाज की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है।
सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि नैनी सेंट्रल जेल के बंदियों से श्रम तो करवाया जा रहा है, मगर उसके बदले उनका पारिश्रमिक नहीं मिल रहा। इस बाबत जेल अधिकारियों का कहना है कि बजट के अभाव में बंदियों को पारिश्रमिक का भुगतान नहीं हो पा रहा है। श्री सिन्हा ने बताया कि पिछले तीन दिनों में सुनवाई के दौरान मानवाधिकार से बाबत कुल 52 मामले सुने गए। इसमें सबसे ज्यादा पंद्रह मामले इलाहाबाद के थे। इसी तरह प्रतापगढ़, चित्रकूट, फतेहपुर, बांदा, फैजाबाद एवं सुल्तानपुर जैसे जिलों में पुलिस की उदासीनता, महिला अपहरण, चिकित्सा व्यवस्था की कमी, कैदियों के साथ दुर्व्यवहार, दहेज मृत्यु, हरिजन अत्याचार, महिला अपमान एवं राज्य अधिकारियों द्वारा समय से कार्रवाई न करने जैसे मामले प्रमुख रहे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि फैजाबाद में 62 बंधुआ मजदूरी के मामले पाए गए, जिनके लिए वहां के जिलाधिकारी से तत्काल पुनर्वास पैकेज देने का निर्देश दिया गया है। इसी तरह इलाहाबाद, बांदा और फैजाबाद सहित सभी संबंधित जिलों के अधिकारियों को मानवाधिकार से जुड़े मामलों के तत्काल निस्तारण का निर्देश दिया गया। उन्होंने माना कि उत्तर प्रदेश में अभी मानवाधिकार मामलों के निस्तारण की स्थिति में सुधार की काफी आवश्यकता है।