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'वो' तड़पती रही, पड़ोसी छोड़ गए सड़क पर

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : यह इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली दास्तां है। वाकया धूमनगंज इलाके के र

By Edited By: Published: Tue, 25 Nov 2014 01:15 AM (IST)Updated: Tue, 25 Nov 2014 01:15 AM (IST)
'वो' तड़पती रही, पड़ोसी छोड़ गए सड़क पर

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : यह इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली दास्तां है। वाकया धूमनगंज इलाके के रम्मन का पुरवा में रहने वाली एक युवती से जुड़ा है। उसे तड़पती हालत में सड़क किनारे छोड़कर उसके पड़ोसी भाग निकले। उधर से गुजर रहे एक बाइक सवार युवक को रहम आया और उसने पुलिस की मदद से उसे स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया। फिलहाल वह जिंदगी की जंग लड़ रही है।

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रम्मन का पुरवा में रहने वाली एक महिला दूसरों के घरों में चौका-बर्तन करती है। उसकी तीन बेटियां और एक बेटा है। तीन बेटियों में सबसे बड़ी बेटी की शादी 30 नवंबर को तय थी। शायद वह अपनी शादी से खुश नहीं थी। लिहाजा दोपहर में जब मां और बहनें काम पर चली गई तो युवती ने अपना कमरा बंदकर साड़ी के सहारे पंखे के चुल्ले से फांसी लगा ली। थोड़ी देर बाद उसकी मां घर लौटी और दरवाजा खटखटाया तो वह खुल गया। अंदर का नजारा देख उसके पैरों तले जमीन सरक गई। बेटी को फांसी के फंदे पर झूलता देख वह चीख उठी। उसकी आवाज सुनकर पड़ोसी इकट्ठा हुए और युवती को नीचे उतारा गया। उसकी सांसें चल रही थीं। मां से बेटी की यह हालत देखी नहीं गई तो उसने पड़ोसियों से उसे किसी अस्पताल में भर्ती कराने की फरियाद लगाई। दिखावे के लिए मोहल्ले के कुछ लोग उसे कार से लेकर अस्पताल में भर्ती कराने निकले। रास्ते में युवती की हालत बिगड़ने लगी तो वे पुलिस की पूछताछ और अन्य परेशानियों से बचने के लिए उसे हाईकोर्ट पानी की टंकी तिराहे के पास सड़क किनारे छोड़कर चले गए।

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'अइसे आपन से त गैर भले'

सड़क किनारे मरणासन्न हाल में पड़ी युवती को देखकर राहगीरों की खासी भीड़ जुट गई। इसी दौरान उधर से गुजर रहे एक लाल पल्सर सवार युवक की नजर उस पर पड़ी तो उससे रहा नहीं गया और वह युवती के करीब पहुंचा। युवती कुछ बोल पाने की हालत में नहीं थी। युवक ने जेब से अपना मोबाइल फोन निकाला और सिविल लाइंस पुलिस को खबर दी। मौके पर पहुंचे उपनिरीक्षक राजकुमार पांडेय ने युवती को आटो से स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल भेजा। युवती को छोड़कर भागे युवकों ने घर जाकर उसकी मां को सारी कहानी बताई तो वह भागते हुए पानी टंकी तिराहे पहुंची। वहां उसने पूछताछ की तो पता चला कि उसकी बेटी को स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल भेजा गया है। अस्पताल जाकर जब उसने अपनी बेटी को जिंदा देखा तो उसकी जान में जान आई। उसे जब यह पता चला कि उसकी बेटी को किसी राहगीर की मदद से अस्पताल में भर्ती कराया गया तो वह बोल पड़ी 'अइसन आपन से त गैर भले'।


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