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गंगा के पानी में फिर मरीं मिलीं मछलियां

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : माघ मेला शुरू होने से कुछ दिन पहले ही संगम तट पर गंगा का पानी मछलियों के

By Edited By: Published: Mon, 24 Nov 2014 11:48 PM (IST)Updated: Mon, 24 Nov 2014 11:48 PM (IST)
गंगा के पानी में फिर मरीं मिलीं मछलियां

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : माघ मेला शुरू होने से कुछ दिन पहले ही संगम तट पर गंगा का पानी मछलियों के लिए जानलेवा हो चला है। सोमवार को संगम तट पर सफाई के दौरान दर्जनों मछलियों मरीं मिलीं। इसकी वजह क्या है? इस बारे में कोई भी स्पष्ट रूप से कुछ कहने की हालत में नहीं है। कुछ दिन पहले भी संगम तट के पास किला घाट पर लगभग दो सौ मछलियां मरी मिलीं थीं। तब तैलीय पानी इसकी वजह बताई गई। इससे पहले 16 नवंबर को संगम नोज पर चार साइबेरियन पक्षी मरे मिले थे। इस बात की जानकारी वन विभाग के अफसरों को भी दी गई थी, लेकिन पोस्टमार्टम जैसी कोई पहल जिम्मेदारों ने नहीं की। अब संगम तट पर तीसरे ऐसे घटनाक्रम से जहां स्नानार्थी सकते में हैं, वहीं प्रशासन बेखबर लग रहा है। हालांकि दैनिक जागरण ने जब मंडलायुक्त का ध्यान इस तरफ आकर्षित कराया तो उन्होंने जांच कराने का आश्वासन जरूर दे दिया।

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सोमवार की सुबह समाजसेवी कमलेश सिंह और दुर्बल कुष्ठ सेवा संस्था की अध्यक्ष आरती सिंह तमाम लोगों के साथ संगम तट की सफाई कर रहे थे। इस दौरान गंगा में दर्जनों मछलियां मृत मिलीं। सफाई अभियान में जुड़े लोगों का दावा है कि इन्हें बाहर निकाला गया और इसमें से दो को पॉलिथिन में भरकर माघ मेला प्रशासन कार्यालय पहुंचाया गया, ताकि उसका पोस्टमार्टम हो सके और वजह सामने आए। उधर मेला अधिकारी रमेश शुक्ल का कहना है कि उन्हें न तो किसी ने मृत मछलियों के बारे में जानकारी दी और न ही पोस्टमार्टम के लिए मृत मछलियों को मेला प्रशासन कार्यालय में सौंपा गया। मंडलायुक्त वीके सिंह ने ऐसी किसी जानकारी से ही अनभिज्ञता प्रकट की। अलबत्ता मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि जांच कराई जाएगी ताकि वजह सामने आ सके।

आखिर गोलमाल बात क्यों

गंगा में मछलियों के मरने की जानकारी आला अधिकारियों को है अथवा नहीं, इस बारे में गोलमाल बात हो रही है।क्षेत्रीय अधिकारी (प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) एसबी फ्रैंकलिन के मुताबिक 21 नवंबर को पानी का नमूना ले लिया गया है। उनकी मानें तो पूर्व में शिकायत मिलने पर मंडलायुक्त ने जांच के लिए कहा था। इस अधिकारी के मुताबिक पानी में बीओडी की मात्रा सामान्य पाई गई है। इधर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर दीनानाथ शुक्ल का कहना है कि अगर मछलियां मर रही हैं, तो निश्चित ही बीओडी लेबल सामान्य नहीं हो सकता। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर उन्होंने संदेह जताया। कहा कि इस समय गंगा में पानी बेहद कम है और कानपुर से आ रहे फैक्ट्रियों के जल से गंगा का पानी विषाक्त हो गया है। जांच में तस्वीर साफ हो जाएगी।


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