सचिव के बाद अब बदले प्रमुख सचिव
जासं, इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा में इन दिनों बड़े स्तर पर उथल-पुथल मची है। यूपी बोर्ड की पूर्व सचिव
जासं, इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा में इन दिनों बड़े स्तर पर उथल-पुथल मची है। यूपी बोर्ड की पूर्व सचिव के वीआरएस मांगने के बाद इसी महीने उन्हें पद मुक्त किया गया है। इससे विभाग अभी उबर भी नहीं पाया था कि प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा को फिर बदल दिया गया है। कहा जा रहा है कि इस फेरबदल में शिक्षा माफिया भारी पड़े हैं, क्योंकि उनकी केंद्र निर्धारण नीति एवं नकल रोकने के तरीकों से माफियाओं में हड़कंप मचा था। रोज-रोज बदल रहे अफसरों से परीक्षा तैयारियों पर असर पड़ने के पूरे आसार हैं।
माध्यमिक शिक्षा की हालत इन दिनों नासाज है। विभागीय मंत्री से लेकर प्रमुख सचिव एवं माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव तक के बदलने का सिलसिला थम नहीं रहा है। पूर्व प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा मनोज कुमार सिंह भी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए तो उनके स्थान पर सूर्य प्रताप सिंह ने कार्यभार ग्रहण किया था। इससे कुछ दिन कार्य की गति धीमी रही, लेकिन इधर बोर्ड परीक्षा की तैयारियों में तेजी से जुट गए। यही नहीं पहली बार उन्होंने शिक्षा विभाग के 35 बड़े अफसरों की सूची बनाकर उन्हें अलग-अलग जनपदों का जिम्मा दिया और उन्हें केंद्रों की स्थापना कराने के लिए जनपदों में भेजा। उनका सख्त निर्देश था कि राजकीय और सहायता प्राप्त स्कूल कालेज की अनदेखी करके निजी स्कूल को परीक्षा केंद्र कतई न बनाया जाए। यही नहीं मंडलवार परीक्षा तैयारियां जांचने वह खुद निकले। इसके अलावा नकल रोकने के लिए मुख्य सचिव से लेकर जिलाधिकारी तक को सीधे जोड़ने की योजना बनाई। इन गतिविधियों से शिक्षा माफियाओं में हड़कंप मचा रहा। बीते 21 नवंबर को प्रमुख सचिव ने इस संबंध में बैठक ली और उसके तीसरे ही दिन उन्हें माध्यमिक शिक्षा से हटा दिया गया और यह कार्यभार जितेंद्र कुमार को सौंपा गया है।
इसके पहले माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव शकुंतला देवी यादव ने भी बड़ों के दबाव में आकर वीआरएस मांग लिया था। करीब एक पखवारे तक ऊहापोह कायम रहा। बाद में उन्हें हटा दिया गया, उनकी जगह पूर्व सचिव प्रभा त्रिपाठी को कमान सौंपी गई है। साथ ही शकुंतला देवी को भी वीआरएस न देकर कैंप कार्यालय लखनऊ से संबंद्ध कर दिया गया है।