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राजाओं की कहानी, सिक्कों की जुबानी

शरद द्विवेदी, इलाहाबाद : कोई राष्ट्र धन के बिना नहीं चल सकता। सफल राजा पहले राजकोष पर ध्यान देता है

By Edited By: Published: Mon, 24 Nov 2014 01:19 AM (IST)Updated: Mon, 24 Nov 2014 01:19 AM (IST)
राजाओं की कहानी, सिक्कों की जुबानी

शरद द्विवेदी, इलाहाबाद : कोई राष्ट्र धन के बिना नहीं चल सकता। सफल राजा पहले राजकोष पर ध्यान देता है अन्य चीजों पर बाद में। हिंदुस्तान में वैदिक काल से लेकर मुगलकाल तक के राजाओं व शासकों ने अपने-अपने समय पर शासकीय व्यवस्था के साथ आर्थिक स्वरूप में व्यापक बदलाव किए। सत्ता की हनक उनके सिक्कों के जरिए प्रदर्शित होती थी। परंतु वर्तमान में अधिकतर लोग उससे अनजान हैं। समाज के लोगों को प्रमुख राजाओं की कार्यप्रणाली के जरिए देश के इतिहास से जोड़ने हेतु इलाहाबाद संग्रहालय में सिक्कों की एक गैलरी तैयार की गई है, जहां छठीं ई. पूर्व से 20वीं सदी तक कई प्रमुख शासकों के कार्यकाल में जारी किए गए 30 हजार के लगभग सिक्कों को प्रदर्शित किया गया है।

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वैदिक काल में बाजारों में विनिमय हेतु 'कौड़ी' चलती थी। मौर्यकाल में आपसी लेन-देन के लिए चांदी के सिक्के (चक्र व हाथी निशान वाले) चलते थे। गुप्तकाल में समुद्र गुप्त ऐसे राजा थे जिन्होंने सबसे पहले सोने के सिक्के चलवाए। चंद्रगुप्त व स्कंदगुप्त ने सोना-चांदी और कासा के सिक्के चलाए जबकि मुगलकाल में हुमायूं, अकबर, औरंगजेब व फर्रुखशियर ने सोने की मोहरें तथा मुहम्मद बिन तुगलक ने दीनार चलवाकर अपनी हनक दिखाई। इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक राजेश पुरोहित कहते हैं किताबों के जरिए हम इतिहास को अच्छी तरह से नहीं समझ सकते हैं, उसके लिए उसमें खोने की जरूरत होती है। सिक्कों की गैलरी के जरिए हम छात्रों एवं आमलोगों को उनके गौरवशाली इतिहास से जोड़ना चाहते हैं, यह उसी दिशा में एक प्रयास है।

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अश्वमेध यज्ञ समुद्रगुप्त की पहचान

सिक्कों की श्रृंखला में गुप्तकाल का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। इसमें समुद्रगुप्त ने दक्षिण व उत्तर के राज्यों पर विजय प्राप्त करने के बाद अश्वमेध यज्ञ करवाया। फिर उसी को सिक्के पर छपवाया। इसमें अश्वमेध यज्ञ कराने के अलावा राजा-रानी, धनुष से बाघ को मारते हुए, लक्ष्मी, घोड़ा और फरसा चिह्न पर आधारित सिक्के जारी किए गए।

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अकबर ने छपवाए कलमा

मुगल सम्राट अकबर द्वारा जारी किए गए मेहराबी सिक्के काफी प्रसिद्ध रहे हैं। अकबर ने सोने-चांदी के सिक्के जारी किए। उसमें एक ओर कलमा, चार खलीफा का नाम व बीच में सूर्य का चिह्न होता था, दूसरी ओर सम्राट अकबर का चित्र व तारीख होती थी।

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ज्योतिष पर जहांगीर की आस्था

मुगल शासक जहांगीर का ज्योतिष विद्या पर अटूट विश्वास था। उसने अपने शासनकाल में ज्योतिष की 12 राशियों पर आधारित सिक्के चलवाए। हर सिक्के में अलग-अलग राशियों के निशान छपे होते थे।

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प्रयाग से जारी होता था सिक्का

मुगल शासक अकबर, शाहजहां व जहांगीर कोई भी सिक्का प्रचलन में लाने से पहले उसे इलाहाबाद में जारी करवाते थे। यहां से जारी होने के बाद उसे पूरे राष्ट्र में पहुंचाया जाता था।


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