बॉटम लें..'वो' गुम हुए, 'हम' तलाश में भटक रहे
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : जिंदगी भी अजीब है, किसी को अपनों का साथ नहीं भाता तो कोई अपनों से दूर नह
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : जिंदगी भी अजीब है, किसी को अपनों का साथ नहीं भाता तो कोई अपनों से दूर नहीं रह पाता। गुरुवार को दैनिक जागरण कार्यालय में तीन ऐसे शख्स मदद की दरकार लेकर आए, जिनके अपने उनसे बिछड़ गए हैं। उनकी तलाश में वह दर-दर भटक रहे हैं। पुलिस से की गई फरियाद भी बेअसर साबित हो रही है। इसके बावजूद उन्हें उम्मीद है कि अखबार में खबर छपेगी तो कोई न कोई राह खुलेगी। वह मिल जाएंगे, जिनकी उन्हें तलाश है।
फतेहपुर जिले के चांदपुर थानांतर्गत मकंदीपुर गांव में रहने वाले रामसजीवन के पुत्र विद्यासागर (35) की मानसिक हालत कुछ ठीक नहीं थी। परिजन बुधवार को उन्हें इलाज के लिए स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल ला रहे थे। रास्ते में मेडिकल कॉलेज के पास विद्यासागर अपनों का हाथ छुड़ाकर कहीं भाग निकले। उनकी तलाश में पिता और छोटा भाई दर-दर की ठोकरें खा रहा है। जो भी उनसे मिलता है वह उससे विद्यासागर का हुलिया बताने लगते हैं। साहब! रंग गेहुआ है, लंबाई औसत है, माथे पर मस्सा है..।
कुछ ऐसी ही मुसीबतों से गुजर रहे हैं कौशांबी जिले के करारी थानांतर्गत शुकलन का पूरा में रहने वाले शेष कुमार पांडेय। उनका 14 साल का बेटा 22 अक्टूबर को साइकिल लेकर निकला तो वापस नहीं लौटा। काफी खोजबीन की मगर कुछ हासिल नहीं हुआ। अब उसकी तलाश में इलाहाबाद की खाक छान रहे हैं।
मुट्ठीगंज के शंकरलाल भार्गव मार्ग पर रहने वाली विद्यावती की कहानी तो और भी दर्द भरी है। जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर विद्या का पति से साथ छूट गया है। 70 साल के राधेश्याम 21 अक्टूबर की सुबह कुछ सामान खरीदने पैदल ही बाजार तक गए थे। फिर जाने कहां चले गए पता नहीं। बुजुर्ग विद्या कभी थाने तो कभी बाजार में पति की तलाश में भटकती नजर आती हैं।