पटाखा बोले तो देसी, 'चायनीज' से तौबा
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : पर्यावरण मित्र दिवाली की लाख अपील और संकल्प के बाद भी आतिशबाजी का बाजार
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : पर्यावरण मित्र दिवाली की लाख अपील और संकल्प के बाद भी आतिशबाजी का बाजार गर्म रहा। बाजार में मंगलग्रह तक जाने वाले 'मंगलयान राकेट' और 'भूकंप' बम के साथ ही साथ देसी बम लोगों के खासा पसंद रहे। हालांकि चाइना के बने पटाखों के आगे देसी बम लोगों की खासा पसंद रहे।
पापा इस बार मैं स्वास्तिक चकरघिन्नी ही लूंगी और साथ में प्रियंका फुलझड़ी भी। दस वर्षीय नेहा के इस बात पर वहां खड़े कई लोग हतप्रभ रह गए। पास ही खड़े 14 साल का आयुष भी कुछ ऐसी ही बात दोहराते नजर आया। अपनी मम्मी से मंगलयान रॉकेट, स्पीड बॉल और स्काई शॉट लेने की जिद पर अड़ा रहा। जीजीआइसी परिसर में पटाखों के बाजार में ये दोनों नजारे यह बता रहे थे कि इस बार देसी के आगे चायनीज पटाखों की दाल नहीं गल पा रही है। दुकानदार भी इस बात पर सहमत जताते नजर आए। नगर के अन्य पटाखा बाजारों (एंग्लो-बंगाली इंटर कालेज के प्रांगण, सुलेमसराय, तेलियरगंज, डीएवी इंटर कॉलेज आदि) में देसी पटाखों की जमकर खरीदारी हुई।
विदेशी छोड़ो और स्वदेसी अपनाओ का नारा इस बार दीवाली पर भी रोशन होते दिखा। असर सिर्फ बड़ों तक ही नहीं बल्कि छोटे छोटे बच्चों पर भी नजर आया। बच्चे भी चायनीज पटाखों पर देसी को वरीयता देते देखे गए।
एंग्लो-बंगाली पटाखा लेने आए सुधीर कुमार ने बताया कि हम बच्चों के साथ केवल देसी पटाखे ही फोड़ेंगे। अधिकांश खरीदारों ने चायनीज सामानों के स्थान पर शिवाकाशी (तमिलनाडु) के पटाखों को तरजीह दी। इस बार मंगलयान रॉकेट, हिंदुस्तानी चटाई, मेरीकॉम अनार, सौहार्द्र पटाखों की धूम रही। इसके अलावा फैंसी फ्लावर, स्काई शॉट, सेवन शॉट, ग्रांड फाइट, भूकंप बम व देसी फुलझड़ियों का बाजार भी खूब चढ़ा। पटाखों के थोक व्यवसायी राजेश चौरसिया ने बताया कि इलाहाबादियों में पटाखा फोड़ने की होड़ रहती है। शौक के आगे ये कीमत की परवाह नहीं करते।
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इस प्रकार रहे दाम
मंगलयान रॉकेट-350 रुपये
सुतली बम- 150 से 300 रुपये
भूकंप बम-20 रुपये से 200 रुपये
प्रियंका फुलझड़ी-70 रुपये से 300 रुपये
स्वास्तिक चकरघिन्नी-75 रुपये से 250 रुपये
इंडियन ईगल गन-350 रुपये
चायनीज पिस्टल-50 रुपये
टू फ्लावर अनार-180 रुपये
60 साउंड रॉकेट-1100 रुपये
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ध्वनि और धुएं से रहें सावधान
-दीपावली की रात तीन गुना से ज्याद बढ़ जाता है प्रदूषण
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : दीवाली पर जमकर खुशियां मनाएं, लेकिन जरा संभलकर। जरा सी चूक से आप बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं। आतिशबाजी से निकलने वाली ध्वनि व धुएं से आपको कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। दीवाली की रात प्रदूषण की मात्रा रोज की अपेक्षा तीन गुने से ज्यादा बढ़ जाती है।
पटाखों से कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रिक आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड, हाइड्रो कार्बन आदि गैस उत्सर्जित होती हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होती हैं। धुएं के साथ महीन कण फेफड़ों आसानी से प्रवेश कर जाते हैं। इससे व्यक्ति को हार्ट अटैक की बीमारी भी हो सकती है। सांस के रोगियों के लिए ये गैसें काफी खतरनाक साबित होती हैं। डॉ. अरविंद पांडेय ने बताया कि धुएं में धात्विक पदार्थ एक बड़ा खतरा है जो अस्थमा से ग्रस्त लोगों के लिए बहुत घातक होता है। आतिशबाजी से निकले सूक्ष्म पदार्थ आसानी से फेफड़ों में घुसकर एलर्जिक रिएक्शन शुरू कर देते हैं। इससे निकली अति क्रियाशील ओजोन गैस फेफड़ों की सतह को घायल कर भारी नुकसान पहुंचाती है। मेडिकल कॉलेज के डॉ. एनएन गोपाल बताते हैं कि थोड़े से मजे के लिए अमूल्य जान संकट समझदारी नहीं है। पटाखों से निकले प्रदूषक सांस के नली में सूजन बढ़ा देते हैं। इससे प्रभावित व्यक्ति को अस्थमा का दौरा भी पड़ सकता है। जानकार बताते हैं कि दीवाली की रात ध्वनि प्रदूषण तेजी से वृद्धि होती है। आम दिनों में ध्वनि की मात्रा रात में 40 व दिन में 60 डेसीबल होती है जबकि दीवाली की रात यह बढ़कर 140 डेसीबल से ज्यादा हो जाती है।
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