जागरण आपके द्वार---समस्याओं से जूझ रहे अलोपीबागवासी
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : अलोपीबाग में रहने वाले समस्याओं से जूझ रहे हैं लेकिन उनकी परेशानी का निर
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : अलोपीबाग में रहने वाले समस्याओं से जूझ रहे हैं लेकिन उनकी परेशानी का निराकरण नहीं हो रहा है। क्षेत्र में न नियमित सफाई होती है और न कूड़ा उठता है। इससे चौतरफा गंदगी पसरी है। सड़कें-गलियां भी दुरुस्त नहीं हैं। गोबर फैलने से आए दिन हादसा होता है। स्ट्रीट लाइटें भी जगह-जगह बुझी हैं। जो ठीक हैं, वे दिन में भी जलती रहती हैं। सीवर लाइन और नालियां जाम हैं। ओवरफ्लो होने से जगह-जगह गंदा पानी फैला रहता है। वहीं, प्रदूषित जलापूर्ति से बीमारी भी फैल रही है।
आवारा पशुओं के आतंक से स्थानीय लोग परेशान हैं। दरवाजों पर पशुओं का जमावड़ा होने से लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है। रोकने पर पशुपालक लड़ने पर आमादा हो जाते हैं। सफाई न होने से नालियां बजबजा रही हैं। बदबू से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद करके रखना पड़ता है। क्षेत्र में न तो कीटनाशक दवाओं का छिड़काव होता है और न ही फागिंग होती है। जिससे मच्छरों का भी प्रकोप बढ़ गया है। शाम को अराजकतत्वों का जमघट होने से महिलाओं को भी मुश्किलें होती हैं। खास यह कि अधिकारी शिकायत के बावजूद कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।
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टॉप टेन समस्याएं
1- क्षतिग्रस्त सड़कें और गलियां।
2- नियमित सफाई न होने से चौतरफा गंदगी और कूड़े का ढेर।
3- कई जगह सीवर लाइन ध्वस्त होना।
4- फागिंग और दवा का छिड़काव न होना।
5- जगह-जगह खराब स्ट्रीट लाइटें।
6- प्रदूषित जलापूर्ति से फैल रही बीमारी।
7- आवारा पशुओं के कारण घरों से निकलना मुश्किल।
8- अतिक्रमण से नालियों का अस्तित्व खत्म।
9- सीवर लाइन की कनेक्टिविटी न होना।
10- ब्रेकर न होने से परेशानी।
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सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है। नालियां सिल्ट से पटी हैं। विवेकानंद पार्क के उत्तर-पूर्व में नालियों में पानी भरा रहता है। गंदगी से बैठने में असुविधा होती है।
- अशोक नारायण तिवारी
रामलीला पार्क के पीछे सेनेटरी लेन में घुटने तक कूड़ा भरा है। नगर आयुक्त को पत्र भी लिखा लेकिन कुछ नहीं हुआ। कूड़ा से लेन बंद है।
-रमाशंकर शुक्ल
विवेकानंद पार्क के समीप स्कूल है। छोटे-छोटे बच्चे पढ़ने आते हैं। कूड़े के ढेर से होकर उन्हें गुजरना पड़ता है। आवारा पशुओं से भी उन्हें खतरा है।
-श्रीलेखा सिंह
सड़कें बनीं लेकिन पटरियां नहीं बनीं। सेनेटरी लेन चोक है। सीवर लाइन की कनेक्टिविटी न होने से पानी बरसने पर जलभराव होता है।
-मुन्ना त्रिपाठी
पुलिस गश्त करती है। लेकिन सिपाहियों की तैनाती न होने से शाम को अराजकतत्वों का जमावड़ा पार्क के समीप होता है। इससे आए दिन घटना भी होती है।
-अनंत अग्निहोत्री
तीन महीने से सीवर लाइन चोक है। इससे जलभराव होता है। दुर्गध से खिड़की-दरवाजे खोलना मुश्किल है। बीमारी भी फैल रही है।
-चंद्रशेखर प्रसाद
सफाई व्यवस्था में लोगों का भी सहयोग होना चाहिए। वार्ड में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन हो रहा है। समय से कूड़ा देने पर गंदगी नहीं फैलेगी।
-रवि गुप्ता
जलभराव की समस्या है। इससे आवागमन बाधित होता है। सफाई व्यवस्था चौपट है। स्ट्रीट लाइटें भी खराब हैं और गंदा पानी आ रहा है।
-पवन मिश्रा
सुअरों का आतंक है। नाली में लोटते रहते हैं। इससे आना-जाना मुश्किल होता है। ब्रेकर बन जाए तो वाहनों की रफ्तार पर भी लगाम लग जाए।
-विवेक अग्रवाल
आवारा पशुओं का आतंक है। पशुपालकों को पशुओं को छुट्टा छोड़ने से रोकने पर वह लड़ने को अमादा हो जाते हैं।
-शंकरलाल जायसवाल
आवारा पशुओं के कारण घरों से निकलना मुश्किल है। गोबर फैलने से फिसलन होती है, जिससे आए दिन हादसे भी होते हैं।
-पुलकित श्रीवास्तव
अतिक्रमण से नालियों का अस्तित्व खत्म हो गया है। इससे जलभराव होता है। सफाई व्यवस्था पटरी से उतर गई है।
-राहुल अग्रवाल
अधिकारी किसी काम के लिए नहीं सुनते हैं। सीवर लाइन जाम है। सफाईकर्मियों की भी बहुत कमी है। जो भी काम हुए हैं वह पार्षद कोटे हुए हैं। अलग से कोई बजट नहीं दिया गया।
-पार्षद, प्रेमलता गुप्ता
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दैनिक जागरण टीम
रिपोर्टर : राजकुमार श्रीवास्तव
छायाकार : सीपी मिश्रा